Friday, May 3, 2024
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पेंच नेशनल पार्क में नजर आया बघीरा, ब्लैक पैंथर को देखकर रोमांचित हुए पर्यटक

सिवनी (हि.स.)। मध्यप्रदेश के सिवनी जिले में स्थित पेंच नेशनल पार्क बाघ, तेदुंए सहित अन्य वन्यप्राणियों के लिए विश्वविख्यात है। मंगलवार की सुबह पेंच नेशनल पार्क के दुरिया के कोर वन क्षेत्र में एक पर्यटक ने ऐसी ही अद्भुत तस्वीरें ली। जिनमें ब्लेक पेंथर (बघीरा) पेड पर चहलकदमी कर रहा है।

उल्लेखनीय है कि मोगली की धरा कहलाने वाला सिवनी का पेंच टाइगर रिजर्व, में 17 सितम्बर 2020 को पहली बार खवासा(बफर) क्षेत्र में गश्त के दौरान पेंच पार्क के अमले को काला तेदुआ दिखाई दिया था तथा यह नर काला तेन्दुआ खवासा (बफर) के जंगलों में पर्यटकों को कई बार दिखा। जिससे पर्यटक रोमांचित हुये। जिसकी विभागीय अमले द्वारा निगरानी की जा रही थी। 31 दिसम्बर 21 को शाम को सफारी के दौरान एक पर्यटक (गौरव वासू, कोलकाता) को पुनः एक मादा तेन्दुआ अपने दो शावकों के साथ दिखी, जिसमें एक शावक काला था। ये दोनों शावक मादा तेन्दुए के साथ कई बार गश्त के दौरान विभागीय अमले को दिखे। इस काले तेन्दुए को देखने के लिए देश के कोने- कोने से पर्यटक आ रहे हैं। वन्यप्राणी प्रेमियों के लिए ये अत्यंत हर्ष की बात है कि अब पेंच नेशनल पार्क में एक नहीं दो काले तेन्दुए के दर्शन हो रहे हैं जिसकों लेकर पर्यटक अत्यंत उत्साहित हैं। पार्क प्रबंधन द्वारा लगातार काले तेन्दुए की मॉनीटरिंग की जा रही है।

खवासा (बफर) के वन परिक्षेत्र अधिकारी को काले तेंदुआ के प्रत्यक्ष दर्शन हुए जिसमें इनके द्वारा काले तेदुएं के नर होने की पुष्टि की गई। यह काला तेंदुआ अब टुरिया के कोर वन क्षेत्र में मंगलवार को पर्यटकों को दिखा है जिसकी तस्वीरें पर्यटकों ने अपने कैमरे में कैद की है।

ज्ञात हो कि पेंच टाईगर रिजर्व में मुख्यतः तीन प्रकार के वन्यप्राणी है जिसमें शाकाहारी, मांसाहारी, सर्वाहारी है। वर्ष 1992 में भारत सरकार द्वारा पेंच राष्ट्रीय उद्यान, पेंच अभ्यारण्य एवं कुछ अन्य वन क्षेत्रों को सम्मिलित कर 757.850 वर्ग कि.मी. क्षेत्र को देश का 19 वां प्रोजेक्ट टाईगर रिजर्व बनाया गया। वर्ष 2002 में पेंच राष्ट्रीय उद्यान एवं पेंच अभ्यारण्य का नाम क्रमशः इंदिरा प्रियदर्शनी पेंच राष्ट्रीय उद्यान एवं पेंच मोगली अभ्यारण्य रखा गया। मांसाहारी वन्यप्राणी में शेर, तेन्दुआ, जंगली बिल्ली, जंगली कुत्ते, लकड़बग्घा, सियार, लोमड़ी, भेड़िया, नेवला, सिवेट केट इत्यादि पाये जाते है। शाकाहारी प्रजातियों में गौर, नीलगाय, सांभर, चीतल, चौसिंगा, चिंकारा, जंगली सुअर इत्यादि प्रमुख है ।

इनका कहना है

आज लंबे इंतजार के बाद, काला तेंदुआ हमारे सामने आया, जंगल बुक के बघीरा की हमारी यादें ताज़ा हो गईं और हमारे पर्यावरण के साथ हमारे बंधन को फिर से जीवंत कर दिया। प्रकृति की सुंदरता को उसके शुद्धतम रूप में देखना वास्तव में विस्मयकारी है।

-रजनीश सिंह, उपसंचालक पेंच टाईगर रिजर्व, सिवनी

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