अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते एमएसपी खत्म करने की तैयारी: अर्थशास्त्री डॉ देवेंद्र शर्मा

खेती का संकट और समाधान विषय पर आयोजित राष्ट्रीय गोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में ख्यातिलब्ध कृषि अर्थशास्त्री डॉ देवेंद्र शर्मा ने अपने उद्बोधन में खुलासा किया कि अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते विशेष रुप से अमेरिका की चेतावनी के बाद की यदि भारत एमएसपी समाप्त नहीं करता है तो वह भारत को दी जाने वाली सुविधा व योजनाओं को बंद कर देगा। साथ ही डब्ल्यूटीओ के दबाव प्रभाव के कारण देश की सरकार धीरे-धीरे एमएसपी समाप्त करने बाध्य है। पीडीएस सिस्टम में भी भारी बदलाव के संकेत हैं। 

उन्होंने कहा कि खेती का व्यवसाय अब घाटे का सौदा बनता जा रहा है, खेती पर भारी संकट है। यह केवल भारत की ही नहीं, वरन विश्व स्तर की समस्या है। विश्व के प्रगतिशील देशों में भी आत्महत्याएं बढ़ रही हैं, किसान खेती छोड़ने मजबूर है। भारत में लगभग 4 लाख किसान आत्महत्या कर चुके हैं। 

ताज्जुब है कि विश्व के अन्य देशों में किसानों को 40 प्रतिशत तक सब्सिडी देकर अपने किसानों को बचाया जा रहा है, पर हमारे देश मे इस पर बबाल मचा हुआ है। दिल्ली में दुनिया का सबसे बड़ा आंदोलन चल रहा है, 8 माह से ज्यादा हो चुके हैं, किसान सड़कों पर डेरा जमाए हैं। 600 से अधिक किसान अपने जीवन से हाथ धो चुके हैं। सरकार पर दबाव गहराता जा रहा है। सरकार की लाचारी इससे स्पष्ट समझ में आती है।

उन्होंने कहा कि बाहरी दबाव के चलते देश में किसानों की अनदेखी निश्चित ही बड़ी चिंता का विषय है। देश के किसान की औसत आय बीस हजार रुपये सालाना है। पिछले दशकों में उसके उत्पाद में केवल 19% की बढ़ोतरी हुई है, जबकि अन्य सभी वर्गों की आय में 400% तक की बढ़ोतरी हुई। यदि सरकार के कर्मचारियों के वेतन में भी 19% की ही वृद्धि हुई होती तो, आधे कर्मचारी  भगवान को प्यारे हो चुके होते हैं।

विडंबना है कि यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि एमएससी पर सरकार की खरीद पर सरकार के खजाने में भारी कमी आ जाएगी। सरकार लुट जाएगी, जबकि यह तथ्य सही नहीं है, सरकारी आंकड़ों के तहत ही कुल ढाई लाख करोड़ का बोझ सरकार पर पड़ेगा, यदि वह किसानों का सभी उत्पाद खरीदती है तो। जब उद्योगों का अब तक का 14 लाख करोड़ माफ किया जा सकता है तो किसान ने ऐसा क्या पाप किया है। सरकार के पास पैसा बहुत है, पर किसानों को संरक्षण देने की उसकी नियत नहीं है। किसान के लिए सरकार में जीडीपी का कुल 0.4  प्रतिशत का इन्वेस्टमेन्ट है, ऐसी दशा में किसानों की आय दुगनी करने का स्वप्न  दिवा स्वप्न ही साबित होगा। 

डॉ शर्मा ने अपने उद्बोधन में अफ्रीका की एक लेडी के उदाहरण देकर, किसानों की हौसला अफजाई करते हुए कहा कि एक मच्छर भी इतना शक्तिशाली होता है कि यदि वह चाहे तो आपकी नींद हराम कर सकता है, आपकी सेहत बिगाड़ सकता है। उन्होंने अंत में किसानों का आह्वाहन किया कि किसानों की एकत्रित शक्ति ही उसे अपने ऊपर आए संकट का बेहतर समाधान साबित हो सकती है।  खुशी है कि सभी संगठनों ने इसे समझने का प्रयास किया है।

डॉ शर्मा ने  किसान व शासन के बीच कड़ी के रूप में महत्वपूर्ण योगदान देने के साथ ही, किसानों को जागरूक करने के लिए किसानों के गैर राजनीतिक संगठन भारत कृषक समाज की भूमिका की सराहना की। 

भारत कृषक समाज की इस राष्ट्रीय गोष्ठी के मुख्य अतिथि भारत कृषक समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजय वीर जाखड़ ने अपने संबोधन में सरकार से अपील की, कि खेती के संकट के समाधान का  विकल्प यही है कि सरकार किसानों की न्यूनतम आय सुनिश्चित कर इनकम सपोर्ट स्क्रीम शीघ्र लागू करें। वेतन आयोग की तरह ही किसान आयोग का गठन किया जाए। 

अजय वीर जाखड़ ने चौधरी चरण सिंह के गुरु सर छोटूराम की उस पंक्ति का उदघोष किया जिसमें उन्होंने कहा था कि हमारा भोला किसान बोलना व दुश्मनों की पहचान करना सीख ले, तो वह अपनी समस्या का समाधान अपने आप करने लग जायेगा। कार्यक्रम का संचालन भारत कृषक समाज के केके अग्रवाल व किसान सेवा सेना के ब्रजेश अरजरिया ने तथा आभार प्रदर्शन जितेंद्र कुमार देसी ने किया। राष्ट्रीय किसान गोष्ठी में देश के विभिन्न प्रदेशों के किसानों ने भाग लिया।