एमपी में शुरू हुआ सूर्य शक्ति अभियान: सौर ऊर्जा से रोशन होंगी गाँव की लाईटें और चलेंगे पंप

मध्यप्रदेश में गाँवों को सौर ऊर्जा से बिजली की आपूर्ति के लिये आत्मनिर्भर बनाने के लिये ‘सूर्य शक्ति अभियान’ की शुरूआत की गयी है। देश में इस तरह का अनूठा अभियान शुरू करने वाला मध्यप्रदेश पहला राज्य है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सौर ऊर्जा के क्षेत्र में देश को आत्म-निर्भर बनाने के सपने को पूरा करने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है। ग्राम पंचायतों में सोलर ऊर्जा को बढ़ावा देते हुये गाँव की स्ट्रीट लाईटें, नल-जल प्रदाय, कार्यालयों में और अन्य कामों में सोलर बिजली का उपयोग किया जायेगा।

जल-जीवन मिशन में ग्रामीण क्षेत्रों में 1 करोड़ घरेलू जल कनेक्शन दिये जाने का लक्ष्य है, जो 2 वर्ष पूर्व मात्र 15 लाख थे। इससे ग्राम पंचायतों का बिजली पर होने वाला व्यय जो करीब 450 करोड़ था, 2 हजार करोड़ तक बढ़ने की संभावना है। सौर ऊर्जा से प्रदेश की ग्राम पंचायतों में भविष्य में बिजली बिल पर होने वाले लगभग 2 हजार करोड़ रूपये के व्यय को कम किया जा सकेगा। यह राशि गाँव के अन्य विकास कामों में उपयोग की जा सकेगी।

इसके साथ ही कार्बन क्रेडिट का भी लाभ पंचायतों को मिल सकेगा। यह अभियान पंचायतों की आय में वृद्धि के लिये सहायक होगा। प्रथम चरण में 5 हजार से अधिक जनसंख्या वाली 714 ग्राम पंचायतों और हाट बाजार वाले समस्त ग्रामों तथा समस्त जिला एवं जनपद पंचायत कार्यालयों को सूर्य शक्ति अभियान में शामिल किया जा रहा है। इन पंचायतों के अलावा अन्य पंचायतें भी इस अभियान से जुड़ सकती हैं।

प्रमुख सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास उमाकांत उमराव ने बताया कि प्रदेश में ग्राम स्तर पर विभिन्न व्यवस्थाओं के संचालन में परंपरागत बिजली पर निर्भरता कम करने के लिये ‘सूर्य शक्ति अभियान’ शुरू किया जा रहा है।

इस अभियान में जिला एवं जनपद पंचायत कार्यालयों तथा ग्राम पंचायतों की कुल मासिक विद्युत खपत का आंकलन कर उसके समतुल्य आपूर्ति हेतु सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता के संयंत्र स्थापित किये जायेंगे। दक्षतापूर्ण खपत और उत्पादन को सुनिश्चित करने के लिये ग्राम पंचायतों का ऊर्जा ऑडिट भी किया जा रहा है। व्यय हेतु 15 वां वित्त, राज्य वित्त तथा पंचायतों की स्वयं की आय से राशि की व्यवस्था की जायेगी।

अभियान के लिये खरगौन एवं खण्डवा जिले के एक-एक विकास खण्ड में प्रारंभिक अध्ययन कराया गया और पंचायतों का ऊर्जा ऑडिट भी कराया गया, उसके आधार पर अभियान की डीपीआर बनाई गई। बेहतर परिणामों के लिये सभी स्तरों पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसी वित्तीय बर्ष में बड़ी संख्या में पंचायतों को इस अभियान से जोड़ दिया जायेगा।

पंचायतों में सोलर संयंत्रों की स्थापना से नियमित विजली की आपूर्ति सुनिश्चित हो सकेगी। संयंत्र लगाने पर एक बार का खर्च होगा, उसमें भी शासन द्वारा निर्धारित सब्सिडी का लाभ मिलेगा। अभियान में आगामी 15 अक्टूबर तक ऊर्जा ऑडिट, 15 नवम्बर तक पंचायतों का प्रशिक्षण तथा 26 जनवरी तक सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना की जानी है। ऐसी पंचायतें जो अपनी विद्युत खपत के अनुरूप सौर ऊर्जा उत्पादन करने में सक्षम हो जायेंगी, उन्हें सौर समृद्ध ग्राम पंचायत घोषित करते हुये पुरस्कृत किया जायेगा।