एमपी की नई संविदा नीति में नहीं होगा अनुबंध लेकिन लटकती रहेगी मूल्यांकन की तलवार, शुरू हुआ विरोध

मध्य प्रदेश के सामान्य प्रशासन विभाग ने प्रदेश के संविदा अधिकारियों एवं कर्मचारियों की सेवा शर्तों के संबंध में नए दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं, इसके अनुसार संविदा अधिकारियों एवं कर्मचारियों के वार्षिक मूल्यांकन और उसके आधार पर सेवा समाप्ति का अधिकार अभी भी अधिकारियों के पास ही रहेगा। मुख्य रूप से जो कहा जा रहा था कि संविदा अधिकारियों एवं कर्मचारियों को अब वार्षिक अनुबंध से मुक्ति मिल जाएगी मगर वैसा नहीं है, नए दिशा-निर्देशों के अनुसार संविदा अधिकारी एवं कर्मचारी के ऊपर मूल्यांकन की तलवार हमेशा लटकती रहेगी।

नए दिशा-निर्देश के जारी होते ही इसका विरोध भी शुरू हो गया है। संविदा कार्मिकों ने इसे संविदा अधिकारियों एवं कर्मचारियों का मजाक बताते हुए कहा है कि इन दिशा-निर्देशों में नया कुछ नहीं है। बस शब्दों का हेरफेर कर भ्रमित करने की कोशिश की गई है। वहीं संविदा कल्चर के विरुद्ध आंदोलन करने वाले मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि माना तो ये जा रहा था कि संविदा अधिकारी एवं कर्मचारी भी नियमित कार्मिकों की भांति ही होंगे लेकिन अनुबन्ध की शर्तें वही हैं, अधिकारी चाहे तो संविदा कर्मी को नौकरी से हटा भी सकता है। बस हर साल नया अनुबंध नहीं करना होगा। लेकिन हर साल मूल्यांकन की शर्त के चलते संविदा अधिकारी एवं कर्मचारी दबाव में ही काम करेंगे और इससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा, जो शिवराज सरकार की भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति के भी विरुद्ध है।

इसके अलावा अन्य सुविधाओं, महंगाई भत्ते एवं अन्य भत्तों का कहीं कोई जिक्र तक नहीं किया गया है। वहीं वेतन में कोई बदलाव नहीं होगा, सिर्फ गणना पद्धति बदली गई है, वृद्धि भी हर साल मूल्य सूचकांक पर निर्भर होगी। इंश्योरेंस पर भी कुछ स्प्ष्ट नहीं है। वहीं सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से जारी सेवा शर्तों के अनुसार संविदा अधिकारियों एवं कर्मचारियों को नौकरी पर रखने वाले अधिकारी हर साल इनका मूल्यांकन करेंगे। काम संतोषजनक न पाए जाने की स्थिति में संविदा कर्मचारी की सेवा समाप्त करने की कार्रवाई की जा सकेगी। इस बात को लेकर संविदा अधिकारियों एवं कर्मचारियों में आक्रोश देखा जा रहा है।