आउटसोर्स कर्मियों का न्यूनतम वेतन केन्द्र के मुकाबले आधा, मुख्यमंत्री निभाएं अपना वादा

जहाँ राजस्थान व छत्तीसगढ ने अपने राज्यों के आउटसोर्स व दैनिक वेतन भोगी कर्मियों को मिनिमम वेजेस में भारी भरकम बढ़ोत्तरी कर केन्द्र के आउटसोर्स के बराबर न्यूनतम वेतन देने का ऐलान किया है, वहीं एमपी में 1 अक्टूबर 2023 से प्रतिमाह अकुशल, अर्द्धकुशल, कुशल एवं उच्च कुशल के न्यूनतम वेतन में मात्र 175 रुपए प्रतिमाह की वेतन वृद्धि हुई है, जो कि ऊँट के मुँह में जीरे के बराबर है।

इसके विरोधस्वरूप मप्र के करीब ढाई लाख आउटसोर्स कर्मचारियों ने आज गाँधी जयंती के अवसर पर ऑल डिपार्टमेन्ट आउटसोर्स संयुक्त संघर्ष मोर्चे के प्रांतीय संयोजक मनोज भार्गव के नेतृत्व में सामूहिक उपवास रखकर सामूहिक विरोध प्रकट किया।

मनोज भार्गव का कहना है कि राजस्थान में उच्च कुशल का न्यूनतम वेतन बढ़ाकर 23585 रुपए, कुशल का 20450 रुपए एवं अकुशल का 17300 रुपए वेतन करने का ऐलान किया गया है, जबकि इसकी तुलना में एमपी के श्रमायुक्त ने अभी हाल ही में 1 अक्टूबर 2023 से अकुशल का न्यूनतम वेतन बढ़ाकर 9825 रुपए अर्द्धकुशल का 10682 रुपए, कुशल का 12060 रुपए एवं उच्च कुशल 13360 रुपए करने संबंधी आदेश जारी किये हैं, जो सरासर आर्थिक अन्यायपूर्ण व कर्मचारियों के साथ क्रूर मजाक है।

मनोज भार्गव का मत है कि महँगाई चरम पर है, ऐसे में मप्र के ढाई लाख आउटसोर्स कर्मियों का मिनिमम वेजेस रिवाइज़ कर उन्हें लिविंग वेज दिये जाने की जगह महँगाई भत्ता में आंशिक इजाफा करना घोर नाइंसाफी है।

आउटसोर्स कर्मियां का न्यूनतम वेतन अधिनियम 1948 की धारा 3 के तहत् रिवाइज़ कर केन्द्र सरकार के आउटसोर्स कर्मियों के समान दोगुना किया जाना चाहिए, जिसकी आस एमपी के आउटसोर्स कर्मचारी 10 जून 2021 से अब तक लगाये बैठे हैं, इसलिए एमपी के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को अपना वादा निभाना चाहिए और प्रदेश के ढाई लाख आउटसोर्स का वेतन केन्द्र के आउटसोर्स कर्मियों के समान दोगुना वेतन करने के आदेश जारी करना चाहिए।