Friday, July 11, 2025
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हिन्दी- गर्व और पहचान: डॉ. निशा अग्रवाल

डॉ. निशा अग्रवाल
शिक्षाविद, पाठयपुस्तक लेखिका
जयपुर राजस्थान

जान बनी अभिमान बनी हिन्दी भाषा तो अपनी
हर दिल की अतिप्रिय बनी हिन्दी भाषा तो अपनी

हिंदुस्तानी हम है तो हिन्दी का मान बढ़ाएं
हिन्दी भाषी लोगों से हम कभी नहीं कतराएं।
अहसास गर्व का करवाती हिन्दी भाषा ही अपनी
हर मन के भाव समझाती हिन्दी भाषा ही अपनी

जान बनी अभिमान बनी हिन्दी भाषा तो अपनी
हर दिल की अतिप्रिय बनी हिन्दी भाषा तो अपनी

घर परिवार समाज को बांधे एक सूत्र में हिन्दी
सारेगामा सात सुरों को साजे ताल में हिन्दी
संस्कारों को चिन्हित करती हिन्दी भाषा ही अपनी
मनमोहक चित्रण भी करती हिन्दी भाषा ही अपनी

जान बनी अभिमान बनी हिन्दी भाषा तो अपनी
हर दिल की अतिप्रिय बनी हिन्दी भाषा तो अपनी

मीरा, तुलसी के दोहे हिन्दी भाषा में बने हैं
निर्गुण भाव कबीरा और वात्सल्य रसखान भरे हैं
गद्य पद्य दोहे सूक्ति मिल पुस्तक बन जाती हिन्दी
नैतिक शिक्षा, ज्ञान, विज्ञान में छाप छोड़ती हिन्दी

जान बनी अभिमान बनी हिन्दी भाषा तो अपनी
हर दिल की अतिप्रिय बनी हिन्दी भाषा तो अपनी

छंदबद्ध, मुक्त छंद काव्य सब हिन्दी में रचे गए हैं
शोध ग्रंथ, पाठ्यक्रम पुस्तक सहज ही पढ़े गए हैं
जटिल तथ्य को सहज बनाती हिन्दी भाषा ही अपनी
उमंग, खुशी की लहर जगाती हिन्दी भाषा ही अपनी

जान बनी अभिमान बनी हिन्दी भाषा तो अपनी
हर दिल की अतिप्रिय बनी हिन्दी भाषा तो अपनी

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