ये जो चिड़िया निढ़ाल बैठी है
लेके किसका ख्याल बैठी है
कौन-सी रुत करीब है आई
धूप पानी उबाल बैठी है
ये सदी बेहिसाब सपनों का
रोग कैसा ये पाल बैठी है
इस पड़ोसन को क्या कहूँ आखिर
कब की खुन्नस निकाल बैठी है
प्यार का रोग क्या लिया उसने
सिर को ओखल में डाल बैठी है
ऐसे डसता है कोई अपना ही
जैसे विषधर को पाल बैठी है
-डाॅ भावना
नाम- डॉ भावना
प्रकाशन- देश के लगभग सभी महत्वपूर्ण पत्र-पत्रिकाओं में ग़ज़लें, आलेख, समीक्षा, कविता एवं कहानियों का प्रकाशन।
संप्रति- प्राध्यापक, रसायन शास्त्र विभाग, आरएसएस काॅलेज, चोचहाँ, मुजफ्फरपुर, बिहार तथा वेब पत्रिका आँच की संपादक।