कुछ खट्टे कुछ मीठे लम्हें, कुछ ख़ारी सी बातें हैं।
कुछ पूनम की रातें हैं तो कुछ अँधियारी रातें हैं।
आँचल के हर एक छोर पर बहता काजल सिमट गया,
सूनापन आकर आँखों से अपना बन कर लिपट गया,
खामोशी के कोलाहल में गुम हैं सारी मुस्कानें,
हर सपना झुलसा है जबसे सच्चाई के निकट गया,
पीर सजी है दूल्हन जैसी लौटी सब बारातें हैं।
कुछ खट्टे कुछ मीठे लम्हें कुछ खारी सी बातें हैं।
हाथों में पूजा की थाली लेकर उनकी राह खड़े,
इंतजार के पल, पलकों पर बनके बंदनवार पड़े,
लिपी हुई देहरी पर कैसी आज रँगोली इतराती,
लम्हों के अनमोल नगीनों से सपनों के महल जड़े,
आशाओं के फूल हमारी बगिया को महकाते हैं।
कुछ खट्टे कुछ मीठे लम्हें कुछ खारी सी बातें हैं।
आँगन में तुलसी के बिरवे सा संजोग हमारा है,
तुम सागर हो, प्रीत हमारी ज्यों नदिया की धारा है,
मेरी जीवन नैया को जब तुम माँझी बनकर खेते,
कितना भी दुष्कर हो लेकिन मिलता मुझे किनारा है,
पल दो पल का साथ नहीं है जन्मों की सौगातें हैं।
कुछ खट्टे कुछ मीठे लम्हें कुछ खारी सी बातें हैं।
-शीतल वाजपेयी