जहाँ मन हो बिछा लेते हैं बिस्तर लेके चलते हैं
वो घर-परिवार, बर्तन, नून-शक्कर लेके चलते हैं
यहाँ तो डर लगा रहता है बुलडोजर का ही हरदम
चलो भाई यहाँ से टीन-टप्पर लेके चलते हैं
अब उनके पास दौलत है अब उनके पास रुतबा है
अकेले क्यों चलेंगे लाव लश्कर लेके चलते हैं
बिना मजमा लगाए काम चलता ही नहीं उनका
मदारी हैं वो हरदम अपने बन्दर ले के चलते हैं
न जाने किस जगह कब आइनों से भेंट हो जाए
वो जब चलते हैं तो दो चार पत्थर ले के चलते हैं
भले ही क्रोध के अंगार लेकर आ रहे हैं वो,
हम उनके पास अपने ढाई आखर लेके चलते हैं
दिलों में खाइयाँ लेकर पड़े हैं चुप्पियाँ ओढ़े,
हम उनके बीच कुछ संवाद के स्वर लेके चलते हैं
-ओमप्रकाश यती
परिचय-
नाम- ओमप्रकाश यती
जन्म- 3 दिसम्बर सन् 1959 को बलिया, उत्तर प्रदेश के छिब्बी गाँव में।
पिता- स्व. सीता राम यती (स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी )
माता- स्व. परम ज्योति देवी
शिक्षा- प्रारम्भिक शिक्षा गाँव में,
सिविल इंजीनियरिंग तथा विधि में स्नातक और हिन्दी साहित्य में एमए
प्रकाशन- पहला ग़ज़ल- संग्रह ‘बाहर छाया भीतर धूप, राधाकृष्ण प्रकाशन,दिल्ली से 1997 और
दूसरा ग़ज़ल-संग्रह ‘सच कहूँ तो’ 2011 में प्रकाशित। कमलेश्वर द्वारा सम्पादित हिन्दुस्तानी ग़ज़लें, ग़ज़ल दुष्यन्त के बाद…(1), सात आवाज़ें सात रंग आदि महत्वपूर्ण संकलनों में ग़ज़लें प्रकाशित।
•नागपुर में आयोजित आकाशवाणी के सर्व भाषा कवि-सम्मेलन -2008 में कन्नड़ कविता के हिन्दी अनुवादक कवि के रूप में भागीदारी।
•अखिल भारतीय साहित्य-कला मंच, मेरठ के ‘दुष्यंत स्मृति सम्मान-2011’ से सम्मानित
• ग़ज़ल-संग्रह ‘सच कहूँ तो’ के लिए इंद्रप्रस्थ साहित्य भारती,दिल्ली का यशपाल जैन सम्मान-2013
• पंचवटी लोक सेवा समिति, नई दिल्ली द्वारा 29 सितंबर 2013 को ‘राष्ट्र भाषा गौरव सम्मान-2013’ प्रदान किया गया।
• 22 दिसंबर’2013 को ‘समन्वय’ सहारनपुर द्वारा ग़ज़ल के क्षेत्र में किए गए कार्य के लिए सृजन-सम्मान 2013 प्रदान किया गया।
• इन्टरनेट के कविताकोश (kavitakosh.org) के रचनाकारों में से एक।
सम्प्रति- उत्तर प्रदेश के सिंचाई विभाग में अधीक्षण अभियन्ता पद पर कार्यरत तथा वर्तमान में ओखला, नई दिल्ली में पदस्थापित
सम्पर्क- एच- 89, बीटा-I, ग्रेटर नौएडा- 201308
(मोबाइल)- 09999075942
ई-मेल- [email protected]