तुम न आये, तुम न आये
नयन गए हैं हार अब तो
बाट जोहती ये आँखे
हो गयी बेजान पागल
जैसे घूँघरू टूट गए हों
रह गयी खामोश पायल
बह गए कितने ही आँसू
धूल गए सिंगार अब तो
तुम न आये, तुम न आये
नयन गए हैं हार अब तो
कह गए थे संग हो तुम
जैसे हृदय में धरकन
हो नही अलग तुम मुझसे
फिर क्यों बनी हूँ मै बिरहन
टूट के बिखरी उम्मीदें
टूटा मन का तार अब तो
तुम न आये, तुम न आये
नयन गए हैं हर अब तो
मैंने चाहा साथ तेरा
तुम खोये थे अपने आप मे
जलता रहा मन मेरा
तुझसे विरह के ताप में
कहते है दिल के छाले
झुलस गया है प्यार अब तो
तुम न आए, तुम न आए
नयन गए हैं हर अब तो
सारी खुशियाँ हो तेरी
मैं बिन लूँ सारे दुख के कण
दुआओं में रखूं मै तुझको
प्रेम माँगता है समर्पण
तेरी खातिर आज तुझको
भूलने को भी तैयार अब तो
तुम न आए, तुम न आए
नयन गए हैं हार अब तो
-रुचि शाही