सोये ख्वाबों को जगाकर चल दिए
आग मोहब्बत की जलाकर चल दिए
खुशबू से भर गयी गलियाँ दिल की
एक खत सिरहाने दबाकर चल दिये
रात भर चाँद करता रहा पहरेदारी
चुपके से आके नींद चुराकर चल दिये
चिकनी दीवारों पे कोई रंग न चढ़ा
वो अपनी तस्वीर लगाकर चल दिये
उन निगाहों की आवारगी क्या कहे
दिल धड़का के चैन चुराकर चल दिये
बनके मेहमां ठहरे पल दो पल ही
उम्रभर की याद थमाकर चल दिये
-श्वेता सिन्हा