मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेन्द्र श्रीवास्तव ने बताया कि मध्य प्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के रीवा रीजन के अंतर्गत पश्चिमी शहर संभाग रीवा के कार्यपालन अभियंता द्वारा तीन संविदा कर्मचारियों एवं एक आउटसोर्स कर्मी के पर यह आरोप लगाया कि जिस क्षेत्र में आप कार्य कर रहे हैं वहां पर उपभोक्ताओं द्वारा बिजली चोरी की जा रही है। कार्यपालन अभियंता द्वारा इस बात को लेकर के द्वारा तीन संविदा लाइन परिचारकों का निलंबन किया गया है एवं एक आउटसोर्स कर्मी को नौकरी से निकाल दिया।
तकनीकी कर्मचारी संघ कार्यपालन अभियंता से निवेदन पूर्वक जानकारी चाहता है कि विद्युत चोरी में सिर्फ लाइन कर्मचारियों की ही पूरी जिम्मेदारी है क्या? अधिकारियों की नहीं है, जबकि सबसे ज्यादा अगर जिम्मेदारी है तो अधिकारियों की है। अधिकारी स्वयं लाइन कर्मचारियों को अत्याधिक कार्य दे देते हैं, जिससे वह लगातार मानसिक से तनाव में रहता है, इसके बाद भी अधिकारियों के द्वारा बेवजह कर्मचारियों को प्रताड़ित किया जाता है।
अधिकारियों के द्वारा लाइन कर्मचारियों को जो कार्य दिए जाते हैं, उनमें उपभोक्ताओं की शिकायतों का समाधान, मेंटेनेंस करना, राजस्व वसूली करना, ब्रेकडाउन अटेंड करना, शटडाउन अटेंड करना, जो उपभोक्ता बिजली बिल जमा नहीं करता है उन उपभोक्ताओं को फोन करना, उनके पास जाना, इस प्रकार से तकनीकी कर्मचारियों को अनेक प्रकार के कार्य सौंप दिए जाते हैं उसके बाद भी लाइन कर्मचारियों को अवकाश भी नहीं दिया जाता है, और तो और अधिकारियों के द्वारा लाइन कर्मचारियों को अवकाश के दिन बुलाने का कोई लिखित आदेश जारी न कर मौखिक रूप से बुलाया जाता है, जो कि नियम विरुद्ध है।
मैदानी अधिकारी तानाशाहीपूर्ण रवैया अपनाते हुए लाइन कर्मचारियों को लगातार प्रताड़ित करते हैं। मानव अधिकारों का हनन एवं श्रम नियमों का उल्लंघन करते हैं। तकनीकी कर्मचारी संघ के मोहन दुबे, राजकुमार ,अजय कश्यप, इंद्रपाल सिंह, लखन सिंह राजपूत, अजय मिश्रा, आजाद खान आदि ने उच्च अधिकारियों से मांग की गई है कि तीनों संविदा कर्मचारियों का निलंबन समाप्त करते हुए बहाल किया जावे एवं आउटसोर्स कर्मचारी को पुनः नौकरी पर वापस रखा जाए।