मध्य प्रदेश विद्युत नियामक आयोग से प्रदेश की बिजली कंपनियों द्वारा प्रस्तावित विद्युत दर बढ़ोतरी के प्रस्ताव को सिरे से ख़ारिज किये जाने का अनुरोध करते हुए किसानों की ओर से भारत कृषक समाज महकौशल के अध्यक्ष केके अग्रवाल द्वारा किसानों द्वारा प्रस्तुत 15 बिंदुओं की आपत्ति पर विद्युत कंपनी द्वारा दिए गये जवाब को वास्तविकता व तथ्यों से परे बताते हुए इसकी निष्पक्ष जांच का आयोग से आग्रह किया गया।
केके अग्रवाल ने आयोग से कहा की आज भी ग्रामीण क्षेत्र में सूचारु विद्युत प्रदाय व्यवस्था का अभाव है। मैदानी अधिकारियों की उदासीनता व लापरवाही के चलते ग्रामीण जन अनेक समस्याओं से जूझ रहे हैं, उनकी कहीं कोई सुनवाई नहीं है। ट्रांसफार्मर, खंबे, लाइन की हालत बद से बदतर है, वोल्टेज, ट्रिपिंग की समस्या, समय पर सुधार कार्य न होने से किसान बिजली का समुचित उपयोग नही कर पा रहे हैं।
कृषि पम्पों के लिए सरकार के 10 घंटे के वादे के इतर उन्हें अभी भी 5-6 घंटे ही बिजली मिल पा रही है, कृषि पम्पों के विद्युत बिलो में अचानक अप्रत्याशित वृद्धि, चोरी के फर्जी प्रकरण बनाये जाने तथा उन्हें नाना प्रकार से प्रताड़ित करने व धमकाये जाने का सिलसिला जारी है।
विडंबना है की नियामक आयोग ने इन शिकायतों को कभी संज्ञान में नहीं लिया, न ही जाँच की और न ही विद्युत कम्पनी पर कभी कोई कार्यवाही की, न ही कोई दिशा निर्देश जारी किये। नियामक आयोग अपने दायित्वों के निर्वहन मे पीछे क्यों रहा, यह समझ के परे है। विद्युत प्रदाय में शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में भेदभाव जग जाहिर है। इसके प्रमाण की जरूरत नहीं है। आयोग से आग्रह किया गया कि वे मैदानी क्षेत्र मे विद्युत प्रदाय की स्थिति का आंकलन करने वरिष्ठ अधिकारियों को एक सप्ताह गांव मे रहने का आदेश जारी करें, जिससे दूध का दूध पानी का पानी स्पष्ट हो सके।
आयोग के समक्ष किसानों की समस्याओं का प्रमाण सहित जोरदारी व विस्तार से प्रस्तुतीकरण कर आग्रह किया गया कि जब तक ग्रामीण क्षेत्र मे आवश्यकतानुसार गुणवत्ता की बिजली प्रदाय तथा व्यवस्था में सुधार व उनकी समस्याओं का समाधान सुनिश्चित नहीं किया जाता, तब तक विद्युत कंपनियों के विद्युत दरों में बढ़ोतरी के प्रस्ताव पर विचार न किया जाए तथा इसे सिरे से ख़ारिज किया जाए।