मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव के द्वारा आज संघ पदाधिकारियों की बैठक आयोजित की गई और बिजली कंपनियों के अनुकंपा आश्रितों, लाइन कर्मियों की लंबित मांगों पर मंथन किया गया।
बैठक में उपस्थित पदाधिकारियों ने बताया कि विद्युत मंडल की उत्तरवर्ती बिजली कंपनियों के प्रबंधन के द्वारा मृत बिजली कर्मियों के आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति न देना पड़े, इसलिए भेदभावपूर्ण और विसंगतिपूर्ण अनुकंपा नीति लागू की गई। नई अनुकंपा नीति में इस तरह के प्रावधान किए गए कि अनुकंपा आश्रितों को नियुक्ति न मिल सके, एक तरह से नई अनुकंपा नीति के माध्यम से अनुकंपा नियुक्ति पर अनेक प्रकार से रोक लगा दी गई है।
हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि बिजली कंपनियों की नई अनुकंपा नीति भेदभावपूर्ण और विसंगतिपूर्ण है और ऐसी अहितकारी अनुकंपा नीति के स्थान पर मध्य प्रदेश शासन की अनुकंपा नीति लागू किए जाने प्रदेश के मुख्यमंत्री, ऊर्जा मंत्री, मुख्य सचिव एवं अपर मुख्य सचिव ऊर्जा को पत्र लिखा गया है।
हरेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि बिजली कंपनियों में जिस प्रकार मध्य प्रदेश शासन की संविदा नीति सहित अन्य नीतियों को लागू किया गया है, उसी प्रकार मध्य प्रदेश शासन की अनुकंपा नीति भी लागू की जाए।
उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश शासन की अनुकंपा नीति के तहत सेवाकाल के दौरान मृत हुए कर्मचारियों के आश्रितों को बिना शर्त अनुकंपा नियुक्ति दी जाती है, शैक्षणिक अर्हता पूर्ण करने के लिए नियुक्ति प्रदान करने के बाद 3 वर्ष का समय दिया जाता है।
इसके अलावा मध्य प्रदेश शासन की अनुकंपा नीति में कर्मचारी हित के अनेक प्रावधान हैं। वहीं बिजली कंपनियों की नई अनुकंपा नीति के प्रावधान पढ़कर ऐसा प्रतीत होता है मानों बिजली कंपनियों का प्रबंधन पद रिक्त होने के बाद भी मृत बिजली कर्मियों के आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति देना ही नहीं चाहता।
संघ के शंभूनाथ सिंह, केएन लोखंडे, एसके मौर्या, रामकेवल यादव, असलम खान, राजेश काली, जेके कोस्टा, मोहन दुबे, अजय कश्यप, राजकुमार सैनी, लखन सिंह राजपूत, इंद्रपाल सिंह, आजाद सकवार, पीएन मिश्रा, किशोर भांडेकर, संदीप दीपंकर, राकेश नामदेव, राजेश झरिया आदि ने प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं ऊर्जा मंत्री से मांग की है कि विद्युत मंडल की उत्तरवर्ती बिजली कंपनियों में मध्य प्रदेश शासन की अनुकंपा नीति लागू की जाए।