फिर आंखों से अश्रुधार बह चली
कश्मीर घाटी फिर से दहल गई
रक्त रंजित पुलवामा हो गया
चालीस जवान शहीद हो गए
दर्जनों जवान घायल हो गए
तबाही का मंजर देखा नहीं जाता
खूनी खेल आतंकी खेल गए
पीठ पीछे हमला करते ये सदा
फिर बारूद से हमला कर गए
सारे देश मे शोक छा गया
लोग सड़कों पर प्रदर्शन करते
आतंवाद को खत्म करो
ईंट का जवाब पत्थर से दो
अब न कोई वार्ता करो
सीधे ही अटैक बस अटैक करो
सबक सिखाओ कायरों को
सारे व्यापार आवागमन ठप्प करो
होश में आ जायेगा कायर ये
कुछ तो सुरक्षा हित काम करो
इंसानियत जो नहीं समझते
उन लोगों को तनिक न माफ करो
-कवि राजेश पुरोहित
(सौजन्य साहित्य किरण मंच)