भारतीय पशु कल्याण बोर्ड ने जारी किया आवारा कुत्तों और पालतू कुत्तों से संबंधित परामर्श

हाल के दिनों में, भारतीय पशु कल्याण बोर्ड (एडब्ल्यूबीआई) के संज्ञान में आया है कि कुत्तों के खिलाफ अत्याचार, कुत्तों को खिलाने और देखभाल करने वालों के खिलाफ और शहरी नागरिकों के बीच के विवाद दिन-प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं। ऐसी घटनाएं दिल्ली, गुड़गांव, फरीदाबाद, नोएडा, मुंबई, पुणे, नागपुर आदि शहरों में कुत्तों के काटने की छिटपुट घटनाओं के कारण हो रही है। एडब्ल्यूबीआई ने स्पष्ट करते हुए कहा है कि एडब्ल्यूबीआई ने आवारा कुत्तों और पालतू कुत्तों के संबंध में निम्नलिखित परामर्श जारी किया है जो एडब्ल्यूबीआई की वेबसाइट www.awbi.in पर उपलब्ध है।

केंद्र सरकार द्वारा पशु जन्म नियंत्रण (कुत्ते) नियम, 2001 तैयार किया गया है, जिसे आवारा कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करने के लिए स्थानीय प्राधिकरण द्वारा लागू किया जाता है। नियमों का मुख्य केंद्रबिंदु आवारा कुत्तों में रेबीज रोधी टीकाकरण और उनकी जनसंख्या स्थिर करने के साधन के रूप में आवारा कुत्तों को नपुंसक बनाना है। हालांकि, यह देखा गया है कि नगर निगम/स्थानीय निकायों द्वारा पशु जन्म नियंत्रण (कुत्ते) नियम, 2001 का कार्यान्वयन समुचित रूप से नहीं किया जा रहा है और इसके स्थान पर शहरी क्षेत्रों से कुत्तों को स्थानांतरित करने की कोशिश की जाती है।

सर्वोच्च न्यायालय ने अपने विभिन्न आदेशों में विशेष रूप से उल्लेख किया है कि कुत्तों को स्थानांतरित करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है और नगर निगमों को एबीसी तथा रेबीज रोधी कार्यक्रम को संयुक्त रूप से लागू करने की आवश्यकता है। आरडब्ल्यूए उन क्षेत्रों में कुत्तों को खिलाने या खिलाने का स्थल प्रदान करने से भी मना नहीं कर सकता है जहां ये कुत्ते निवास कर रहे हैं। पशुओं की देखभाल करने या खिलाने वाले इन जानवरों को अपनी ओर से करुणा के साथ खिला या देखभाल कर रहे हैं। भारत के संविधान ने देश के नागरिक को 51 ए(जी) के अंतर्गत ऐसा करने की अनुमति प्रदान की है।

इसलिए, एडब्ल्यूबीआई के परामर्शों का पालन करते हुए, जानवरों को खिलाने या देखभाल करने वालों को उनके कार्यों से नहीं रोका जा सकता है। इसलिए सभी आरडब्ल्यूए और भारत के सभी नागरिकों से अनुरोध है कि वे कुत्तों को खिलाने या देखभाल करने वालों के खिलाफ किसी भी प्रकार की प्रतिकूल कार्रवाई न करें और कुत्तों को जहर देने या अन्य अत्याचार का सहारा नहीं लें क्योंकि यह देश के कानून के खिलाफ है।

भारतीय पशु कल्याण बोर्ड (एडब्लूबीआई) पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 (पीसीए अधिनियम) के अंतर्गत स्थापित की गई एक सांविधिक निकाय है। एडब्ल्यूबीआई, केंद्र सरकार और राज्य सरकार को पशुओं के मामलों में सलाह देने वाली एक निकाय है और यह पीसीए अधिनियम, 1960 त‍था इस अधिनियम के अंर्गतम बनाए गए नियमों के कार्यान्वयन संबंधित मामलों को भी देखता है।