प्यार के नग़मे- रकमिश सुल्तानपुरी

प्यार के नग़मे सजाना चाहिए
आदमी को मुस्कुराना चाहिए

मंजिलें सबको मिलें असफ़ार में
हौसला सबका बढ़ाना चाहिए

हो बहुत दुश्वारियां फिर भी हमें
दाँव अपने आजमाना चाहिए

मत नजरअंदाज अपनों को करें
फ़र्ज़ रिश्तों के निभाना चाहिए

रंजिशें थोड़ी बहुत होगीं मग़र
दोस्तों को तो मनाना चाहिए

आईने सा टूटकर जुड़ता नहीं
यूँ कभी न दिल दुखाना चाहिए

हमवफ़ाई यार ‘रकमिश’ याद कर
बेवफ़ाई भूल जाना चाहिए

-रकमिश सुल्तानपुरी