संवेदनशील ऑप्टिकल उपकरणों को प्रकाश-प्रेरित क्षति से बचा सकते हैं लौह अयस्क से निकाली गई सामग्री के 2डी नैनोफ्लेक्स

लौह अयस्क से निकाले गए हेमेटीन नामक पदार्थ के नैनोफ्लेक्स (Nanoflakes) उच्च लेजर तीव्रता को सहन करने और एक ढाल के रूप में कार्य करने में सक्षम पाए गए हैं। इसलिए इनका उपयोग ऐसे प्रकाशिक सीमितकों (Optical Limiters) नामक उपकरण बनाने के लिए किया जा सकता है जो संवेदनशील ऑप्टिकल उपकरणों को प्रकाश-प्रेरित क्षति (Light-Induced Damage) से बचा सकता है।

लेजर स्रोतों से उत्सर्जित विकिरण अत्यधिक केंद्रित और शक्तिशाली होता है और सेंसर, डिटेक्टर और एवं ऑप्टिकल उपकरणों जैसे संवेदनशील उपकरणों के लिए हानिकारक हो सकता है। जब प्रवाह (Input) की तीव्रता बढ़ती है तो प्रकाशिक सीमितक वहां से संचारित होने वाले प्रकाश की मात्रा को नियंत्रित करते हैं और जिससे ऑप्टिकल घटक को होने वाली क्षति से बचाया जा सकता है। ये उपकरण अक्सर लेजर प्रौद्योगिकियों, सैन्य, दूरसंचार, विमान और वैज्ञानिक अनुसंधान में कई तरह से उपयोगी होते हैं।

अलाप्पुझा के सनातन धर्म कॉलेज के भौतिकी विभाग का एमईएसओ ऊर्जा भंडारण और ऑप्टोइलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए सामग्री (Materials for Energy Storage and Optoelectronic Devices-MESO) समूह, रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट, बैंगलोर की अत्यधिक तीव्र और अरैखिक प्रकाशिक प्रयोगशाला (Ultrafast and Nonlinear Optics Lab) के सहयोग से, एक नवीन द्वि-आयामी (2D Material), ‘हेमेटीन’ का उपयोग करके एक नया और अत्यधिक कुशल प्रकाशिक सीमितक लेकर आया है।

विभाग के इस समूह ने पाया कि हेमेटीन के 2डी नैनोफ्लेक्स, लौह अयस्क या हेमेटाइट से निकाली गई सामग्री, बहुत उच्च लेजर तीव्रता को सहन करने में सक्षम हैं, और उन्होंने कम तीव्रता वाले प्रकाश के लिए लगभग 87 प्रतिशत मान के उच्च रैखिक संचरण (High Linear Transmission) को बनाए रखते हुए 532 एनएम के हरे लेजर प्रकाश की उत्कृष्ट ऑप्टिकल सीमितता का प्रदर्शन किया।

हेमेटीन के 2डी नैनोफ्लेक्स की परतों को एक्सफोलिएट करने के लिए एक निश्चित अवधि के लिए सुविधापूर्ण एक्सफोलिएशन प्रक्रिया में प्रयुक्त तरल माध्यम में हेमेटाइट पर अल्ट्रासोनिक तरंगों को प्रवहित करके तैयार किए गए 10 एनएम से कम पार्श्व आयामों के नैनोफ्लेक्स भी परिवेशी परिस्थितियों में वर्ष भर के भंडारण के बाद अत्यधिक स्थिर पाए गए और जो भविष्य के अनुप्रयोगों के लिए ऑप्टिकल लिमिटर के रूप में जबरदस्त क्षमता का संकेत देते हैं।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) कार्यक्रम के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी आधारभूत अवसंरचना (S & T Infrastructure) में सुधार के लिए कोष कार्यक्रम (एफआईएसटी) के माध्यम से प्राप्त उपकरण सुविधा का उपयोग करके एसडी कॉलेज में किया गया यह शोध कार्य हाल ही में एसीएस एप्लाइड ऑप्टिकल मैटेरियल्स (ACS Applied Optical Materials) में प्रकाशित हुआ था।

लेख का लिंक: https://pubs.acs.org/doi/10.1021/acsaom.2c00071

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