इसरो की स्वदेशी नेविगेशनल प्रणाली NavIC के लिए भारत में बनेंगे चिपसेट्स

पहली बार स्वदेशी नेविगेशनल प्रणाली नाविक (NavIC) के सिग्नल प्राप्त करने और उन्हें संसाधित करने में सक्षम चिपसेट या माइक्रोचिप्स को अब किसी भारतीय कंपनी द्वारा भारत में डिजाइन और निर्मित किया जाएगा।

नाविक (NavIC) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा विकसित एक उपग्रह आधारित नेविगेशनल प्रणाली है, जो उपयोगकर्ताओं को उनकी सटीक भौगोलिक स्थिति निर्धारित करने और भारत में कहीं भी और भारत की क्षेत्रीय सीमा से 1500 किलोमीटर दूर तक उनकी गतिविधियों को ट्रैक करने में सक्षम बनाती है।

चूंकि इस समय सभी स्मार्टफ़ोन और नौवहन उपकरण (Navigational Gadgets or Navigators)  एनएवीआईसी के अनुकूल नहीं हैं और इसके संकेतों का उपयोग और उन्हें डिकोड करने के लिए किसी भी नौवहन उपकरण में एक NavIC संगत (Compatible) चिपसेट या माइक्रोचिप शामिल होना चाहिए।

NavIC सिग्नल के रिसीवर जैसे NavIC संगत स्मार्टफोन और अन्य नेविगेटर, सामान्यतः इन चिपसेट्स या माइक्रोचिप्स को शामिल करते हैं जो सात भारतीय उपग्रहों से आने वाले सिग्नल्स को डिकोड और प्रोसेस करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। वर्तमान में वे सभी यूएसए की क्वालकॉम टेक्नोलॉजीज और ताइवान की मीडियाटेक इंक जैसी विदेशी कंपनियों द्वारा बनाए गए चिपसेट का उपयोग कर रहे हैं।

भारत सरकार के दो मंत्रालय, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय तथा इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत में इन चिप्स की डिजाइनिंग और व्यावसायिक उत्पादन की सुविधा के लिए हैदराबाद स्थित कम्पनी- मंजीरा डिजिटल सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड के साथ संयुक्त रूप से सहयोग कर रहे हैं।

इस कंपनी ने बेसबैंड प्रोसेसर चिप डिजाइन किया है जो स्वदेशी रूप से विकसित ऐसे यूनिवर्सल मल्टीफंक्शनल एक्सेलेरेटर (UMA) प्रोसेसर आईपी का उपयोग करता है, जिसमें NavIC सिग्नल प्राप्त करने, उन्हें डिकोड और प्रोसेस करने की क्षमता है। ये चिपसेट्स शीघ्र ही बड़े पैमाने पर व्यावसायिक उत्पादन में पंहुच जाएंगे।

मंजीरा डिजिटल सिस्टम्स एक फैबलेस सेमीकंडक्टर कंपनी है जिसके पास पेटेंटयुक्त उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग (हाई परफॉरमेंस कंप्यूटर- HPC) कर सकने वाला प्रोसेसर है और जिसे यूएमए कहा जाता है। यह घरेलू उत्पाद नेविगेशन के साथ-साथ ट्रैकिंग को भी सक्षम बनाता है और इसका उपयोग वाणिज्यिक एवं नागरिक दोनों उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है। भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) इस पहल को प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (टेक्नोलॉजी डेवेलपमेंट बोर्ड-TDB) द्वारा समर्थित किया गया है।

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना स्वदेशी रूप से उत्पादित अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों की ऐसी पहल के पीछे मार्गदर्शक शक्ति रही है। यह पहल न केवल अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों के स्वदेशीकरण का प्रमाण है, बल्कि देश में सार्वजनिक-निजी भागीदारी के लिए मनोबल बढ़ाने वाली भी है।

NavIC अथवा भारतीय अंतरिक्ष के साथ नेविगेशन, भारत की तकनीकी शक्ति के मुकुट में एक शानदार रत्न है। सेलेस्टियल ग्रेस और सटीकता के साथ NavIC हमारे आकाश को जगमगा देता है और शीघ्र ही यात्रियों और खोजकर्ताओं को अटूट सटीकता के साथ मार्गदर्शन देगा। इसमें उच्च कक्षाओं में परिक्रमा करने वाले सात उपग्रहों का एक समूह शामिल है, जो संकेतों की एक ऐसी खगोलीय टेपेस्ट्री का निर्माण करता  है जो विशाल भारतीय उपमहाद्वीप और उससे भी आगे नेविगेशन, पोजीशनिंग और सामयिकता को सशक्त बनाता है।

नाविक प्रणाली मुख्य रूप से संचार नेविगेशन और सटीकता के लिए भारतीय क्षेत्रीय संचार उपग्रह प्रणाली (इंडियन रीजनल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम) के सिग्नल्स का उपयोग करती है। ये सिग्नल जीओस्टेशनरी और जीओसिक्रोनिक कक्षाओं में उपग्रहों के एक समूह द्वारा प्रेषित होते हैं।

NavIC अपने कामकाज और परिचालन सिद्धांतों में ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम की तरह है, एकमात्र अंतर यह है कि जीपीएस का स्वामित्व और संचालन संयुक्त राज्य अमेरिका सरकार के पास है, जबकि NavIC का स्वामित्व और संचालन भारत के पास है। NavIC पूरे भारतीय उपमहाद्वीप को कवर करता है और 15-20 मीटर जीपीएस की तुलना में 5 मीटर की स्थिति सटीकता प्रदान करता है।

इसके साथ ही नाविक भारत की उस आत्मनिर्भरता का प्रतीक भी है, जो उपग्रह संचार की दुनिया में चमक रही है, और अब स्वदेशी रूप से निर्मित एनएवीआईसी सक्षम चिपसेट्स इसे वास्तव में ‘भारत में निर्मित’ चमत्कार बना देंगे।