देश में एग्रीकल्चर समाज के कल्चर का हिस्सा है, हमारे त्योहार फसल बोने और काटने से जुड़े हैं: पीएम मोदी

Kisan andolan news

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज एक बार फिर लोकसभा में किसान आंदोलन को लेकर विपक्ष पर जमकर वार किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि आंदोलन का नया तरीका है। आंदोलनकारी ऐसे तरीके नहीं अपनाते हैं, आंदोलनजीवी ही ऐसे तरीके अपनाते हैं।

पीएम मोदी ने कहा कि उनका कहना होता है कि ऐसा होगा तो ऐसा हो जाएगा। जो हुआ नहीं उसका डर फैलाया जा रहा है। यह चिंता का विषय है। यह देश के लिए चिंता का विषय है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जब तथ्यों के आधार पर बात नहीं टिकती है तो ऐसा हो जाता है जो अभी हुआ है। आशंकओं को हवा दी जाती है। माहौल आंदोलनजीवी पैदा करते हैं।

उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन को पवित्र मानता हूं। भारत के लोकतंत्र में आंदोलन का महत्व है। यह जरूरी है। जब आंदोलनजीवी पवित्र आंदोलन को अपने लाभ के लिए बर्बाद करने के लिए निकलते हैं तो क्या होता है?’

उन्होंने कहा की कोई मुझे बताए तीन नए कृषि कानूनों की बात हो और जेल में बंद संप्रदायवादी, आंतकवादी और नक्सली, जो जेल में हैं, उनकी फोटो लेकर मांग करना ये किसान आंदोलन को अपवित्र करने की मांग है या नहीं?

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मैं हैरान हूं, पहली बार एक नया तर्क आया है कि हमने मांगा नहीं तो आपने दिया क्यों। दहेज हो या तीन तलाक, किसी ने इसके लिए कानून बनाने की मांग नहीं की थी, लेकिन प्रगतिशील समाज के लिए आवश्यक होने के कारण कानून बनाया गया।

पीएम मोदी ने कहा कि मांगने के लिए मजबूर करने वाली सोच लोकतंत्र की सोच नहीं हो सकती है। हमने देश में बदलाव के लिए हर प्रकार की कोशिश की है। इरादा नेक हो तो परिणाम भी अच्छे मिलते हैं।

उन्होंने कहा कि हमारे यहां एग्रीकल्चर समाज के कल्चर का हिस्सा रहा है। हमारे पर्व, त्योहार सब चीजें फसल बोने और काटने के साथ जुड़ी रही हैं। हमारा किसान आत्मनिर्भर बने, उसे अपनी उपज बेचने की आजादी मिले, उस दिशा में काम करने की आवश्यकता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कृषि के अंदर जितना निवेश बढ़ेगा, उतना ही रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। हमने कोरोना काल में किसान रेल का प्रयोग किया है। यह ट्रेन चलता-फिरता एक कोल्ड स्टोरेज है। देश को आंदोलनकारियों और आंदोलनजीवियों के बारे में फर्क करना बहुत जरूरी है।