Tuesday, October 8, 2024

प्रेम का गुरुत्वाकर्षण: चित्रा पंवार की कविताएं

चित्रा पंवार

धरती ने मिट्टी से ज्यादा दी है
पानी को जमीन
उसमें कितना समाया है आसमान

जबकि आसमान में नहीं है एक बीज
एक तिनका भर भी धरती
जैसे मुझ में
मुझसे ज्यादा बसे हो तुम
और तुम में
तिल भर भी नहीं हूं मैं

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वो पूछता है मुझसे
मैं दुनिया के उस छोर पर था
और तुम इस छोर पर
हमारा मिलना असंभव सा था
फिर कैसे मिले हम दोनों
मासूम है वो
इतना भी नहीं जानता
कि पृथ्वी के गुरूत्वाकर्षण से अधिक तीव्रता के साथ
अपनी ओर खींचता है
प्रेम का गुरुत्वाकर्षण

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