मध्यप्रदेश के खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने खरीफ विपणन वर्ष 2024-25 के मिलिंग नीति की समीक्षा की। उन्होंने अफसरों को कड़े निर्देश दिये कि उपार्जन के दौरान या उसके बाद होने वाली गड़बडि़यों को रोकने के लिए विभाग के प्रमुख सचिव और आयुक्त उपार्जन केन्द्रों का औचक निरीक्षण करें। मंत्रालय में प्रस्तावित मिलिंग नीति की समीक्षा करते हुए खाद्य मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने कहा कि व्यवस्था में सुधार लाने के लिए अफसर कड़े निर्णय लेने से गुरेज न करें। व्यवस्था में सुधार लाने के लिए किसी भी स्तर पर लापरवाही या अनिमितता पाये जाने पर जिम्मेदारों के खिलाफ कठोर कार्यवाही करें। उपार्जन में गड़बड़ी रोकने के लिए उड़न दस्ता गठित करें। उड़नदस्ता औचक रूप से उपार्जन केंद्रों का निरीक्षण करेंगे।
मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने कहा कि मैदानी स्तर पर जिला प्रबंधक नियमानुसार कार्य करने में कोई कोताही न बरतें। अफसरों को निर्देश दिये गये कि उपार्जन कार्य में संलग्न सर्वेयरों पर सतत् निगरानी रखें, जिससे वे उपार्जन के दौरान किसी प्रकार की लापरवाही न करें। उन्होंने व्यवस्था में सुधार लाने के लिए कुछ नई कार्य-योजना बनाने के भी निर्देश अधिकारियों को दिये। बैठक में प्रमुख सचिव खाद्य श्रीमती रश्मि अरूण शमी, आयुक्त खाद्य सिबि चक्रवर्ती, एमडी नागरिक आपूर्ति निगम पी.एन. यादव सहित संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।
मशीनों से होगी अनाज की सफाई, मंडला में पायलेट प्रोजेक्ट
खाद्य मंत्री श्री राजपूत ने निर्देश दिये कि भारतीय खाद्य निगम को उच्च गुणवत्ता का चावल प्रदान करने के लिए अनाज की सफाई मशीनों से कराई जाये। बैठक में निर्णय लिया गया कि इस कार्य को पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में मंडला से शुरूआत की जायेगी। इसे बाद में पूरे प्रदेश में लागू किया जायेगा, जिससे भारतीय खाद्य निगम को गुणवत्ता युक्त चावल दिया जा सके।
20 दिन में मानक स्तर का चावल जमा कराना अनिवार्य
प्रस्तावित नई मिलर्स नीति 2024-25 में पहली बार दंड का प्रावधान किया गया है। इसमें चावल की सूचना मिलर्स को प्राप्त होने के दिनांक से 20 दिवस में मानक स्तर का चावल जमा कराना अनिवार्य होगा। ऐसा न होने की स्थिति में मिलर्स पर 2 रूपये प्रति दिन प्रति क्विंटल का जुर्माना लगाया जाऐगा और एक माह में मानक स्तर का चावल जमा न कराये जाने पर मिलर्स द्वारा जमा की गई प्रतिभूति राशि राजसात कर ली जाऐगी। बैठक में निर्णय लिया गया कि मिलर्स द्वारा भारतीय खाद्य निगम को प्रदान किये जाने वाले चावल की मात्रा 60 प्रतिशत से कम प्रदान करने पर मिलर्स को प्रोत्साहन राशि नहीं दी जाऐगी।