रोटी
ढूंढ़ रहा जिसे हर मजदूर
रोटी
तलाश रहा जिसे हर भिखारी
रोटी
गेहूं उगा रहा किसान जिसके लिए
रोटी
जिसके लिए हुआ कई युद्ध
रोटी
एक मां खिला रही बच्चे को
रोटी
बाप कर रहा जिसके लिए मेहनत
रोटी
साहूकार के यहां जिसके लिए रख रहे लोग घर गिरवी
रोटी
पसीना बहा रहा जिसके लिए मजदूर
रोटी
कुपोषण का शिकार हो रहे जिसके कमी से
रोटी
जिसके लिए चल रही चक्कियां रात दिन
रोटी
जिसके लिए हम आप लगा रहे रोज़ ऑफिस के चक्कर
रोटी
जिसके लिए किसान बहा रहा पसीना
-शिवम मिश्रा
मुंबई, महाराष्ट्र