मिजाज सख़्त अच्छा था जैसा भी रहा
गुजरा वक़्त अच्छा था जैसा भी रहा
जरूरतें बनी रही जहाँ तक चलती रही
इंसान आसक्त अच्छा था जैसा भी रहा
आपसी सम्बन्ध बने रहें, करीब-दूर से
लोभ से विरक्त अच्छा था जैसा भी रहा
हर शख्स नास्तिक नहीं था जहान में
रब का भक्त अच्छा था जैसा भी रहा
कुटुंब थे जुड़े हुए, नज़दीकियां कायम रही
बुजुर्ग दरख़्त अच्छा था जैसा भी रहा
हौसलाई-रक्त अच्छा था जैसा भी रहा
‘उड़ता’ वो वक़्त अच्छा था जैसा भी रहा
सुरेंद्र सैनी बावनीवाल ‘उड़ता’
झज्जर, हरियाणा-124103
संपर्क-9466865227