करती हूँ शत-शत नमन उन वीरों को
आपरेशन विजय में जिनकी जान गई
दो माह के भयंकर जंग में विजय मिली
26 जुलाई को, जिसकी शुरुआत थी मई
तेरह सौ लगभग घायल हुए थे
पाँच सौ से अधिक जवानों ने अपनी जान गँवाई थी
सन उन्नीस सौ निन्यानबे के वीभत्स युद्ध से
देश में जन-जन की आँख भर आई थी
पाकिस्तानी सेना को धूल चटाकर मार गिराया
नाकाम किया उनकी चालों को
कारगिल पर तिरंगा फहराया जिन्होंने
चलो आज याद करते हैं उन वीर कुर्बानों को
कितनी बहनों की राखियाँ रोयीं
कितनी सुहागिनों का सुहाग रूठा था
कितने माँ-बाप से उनके लाल छिने
कितनों के सिर से पिता का साया उठा था
लोग अपने घरों पर चैन की नींद सो सके
इसके ख़ातिर सैनिक शरहद पर जागते हैं
माँ भारती के वीर सपूतों का अदभुत शौर्य देखकर
दुश्मन डरकर भागते हैं
है ईश्वर से यही प्रार्थना हर बार मेरी
मेरा सर झुके बस उनकी ही शहादत में
जंग में दुश्मनों की गोलियों का सामना करते हुए
जो शहीद हो जाते हमारी हिफाजत में
सोनल ओमर
कानपुर, उत्तर प्रदेश