ये धरती ये गगन,
वतन ये हमारा है
बढ़कर न इससे कोई,
ये ताज हमारा है
लेके सपना आजादी का,
नर नाहर सब जूझ गए
उमड़ गया था जोश दिलों में,
दुश्मन उनको सूझ गए
एक बूढ़े ने लाठी लेकर,
भारी ये हुंकार भरी
छोड़ दो अब तुम देश हमारा,
नहीं तो समझो गाज गिरी
देख उबलता देश को दुश्मन,
करने लगा किनारा है
बढ़कर न इससे कोई,
ये ताज हमारा है
इंकलाब का नारा गूंजा,
गूंज गया था जन गण मन
जोश जवानी का देखा तो,
जाग उठा भोला बचपन
लेके तिरंगा निकल पड़े वे,
गली गली में घूम रहे
पाके खुशियां आजादी की,
मस्ती में सब झूम रहे
बोलें भारत माता की जय,
अब तो राज हमारा है
बढ़कर न इससे कोई,
ये ताज हमारा है
राष्ट्र हुआ गणतंत्र और
हम पंचशील अपनाए थे।
करने को खुशहाल देश ये,
हरित क्रांति को लाए थे
खुली नीति अपनाकर हमने,
देश का मान बढ़ाया है
देख प्रगति को आज हमारी,
यूरोप भी घबराया है
आंच न आए आन पे अपनी,
हिंदुस्तान हमारा है
बढ़कर न इससे कोई,
ये ताज हमारा है
रामसेवक वर्मा
विवेकानंद नगर, पुखरायां,
कानपुर देहात, उत्तरप्रदेश