मुश्किलों से गुजरता रहा इश्क है,
इसके अनुभव हमेशा डराते रहे
देखकर उनकी भोली सूरत को हम,
सपने बहुत से सजाते रहे
कुछ कदम मैं चला, कुछ कदम वो चले
न शिकायत कोई, न शिकवे गिले
चल पड़े हम मोहब्बत का पैगाम लेके,
दीवान-ए-सितम वो ढहाते रहे
देख कर उनकी भोली सूरत को हम,
सपने बहुत से सजाते रहे
मोहब्बत का इजहार, जब हम करने लगे
लगा यूं कि रिश्ते, दरकने लगे
रुक गए हम वहीं पर उन्हें भी था रोका,
वक्त के दर्द को हम पचाते रहे
देखकर उनकी भोली सूरत को हम,
सपने बहुत से सजाते रहे
इंतहा हो गई, अब तो दीदार की
चाहता हूं कि खुशबू, मिले प्यार की
छोड़ दो फिक्र ये है सुहाना सफर,
जिंदगी को हसीं हम बनाते रहे
देखकर उनकी भोली सूरत को हम,
सपने बहुत से सजाते रहे
रामसेवक वर्मा
विवेकानंद नगर, पुखरायां,
कानपुर देहात, उत्तर प्रदेश