होली की शुभकामना: गौरीशंकर वैश्य

रंगों के शुभ पर्व में, खूब खिलेंगे रंग
बैठेंगे मिल प्रेम से, जब अपनों के संग

होली में मिल जाएँगे, कबसे रूठे मित्र
डूबें रंग-गुलाल में, होली पर्व विचित्र

बुरा न कोई मानता, खूब खेलिए रंग
सबके मन पर छा रही, मस्ती और उमंग

नयन नशीले से लगे, अधरों पर मुस्कान
मदिरा की ज्यों खुल गई, कोई नई दुकान

भैया को भाभी रँगें, पोत अबीर-गुलाल
भैया छकते जा रहे, गुझिया भर-भर थाल

मोबाइल पर भेजकर, होली के संदेश
मोहित प्रेमी-प्रेमिका, खर्च नहीं लवलेश

चला रहे पति फेसबुक, पत्नी वाट्सएप लीन
दोनों को ही लग रही, होली बड़ी हसीन

श्याम-श्वेत मैं रह गया, वे टीवी रंगीन
रेल पटरियों की तरह, अंतर है संगीन

फागुन की आहट सुनी, हर्षित हुआ पलाश
इंद्रधनुष छाने लगा, अंतस के आकाश

गोरा तन श्यामल हुआ, रंगे रंग में हाथ
शाम सिंदूरी छा गई, होरियारों के साथ

होली के हुड़दंग में, हो न रंग में भंग
मर्यादा में पर्व हो, रहे प्रेम के संग

रंग, अबीर, गुलाल लें, रंग दें मस्तक – गाल
होली की शुभकामना, कर दे मालामाल

गौरीशंकर वैश्य विनम्र
117 आदिलनगर, विकासनगर,
लखनऊ, उत्तर प्रदेश-226022
संपर्क-09956087585