आँख में थोड़ा पानी होठों पे चिंगारी रखो
ज़िंदा रहने को ज़िंदादिली बहुत सारी रखो
राह में मिलेगे रोड़े,पत्थर और काँटें भी बहुत
सामना कर हर बाधा का सफर जारी रखो
कौन भला क्या छीन सकता है तुमसे तुम्हारा
खुद पर भरोसा रखकर मौत से यारी रखो
न बनाओ ईमान को हल्का सब उड़ा ही देगे
अपने कर्म पर सच्चाई का पत्थर भारी रखो
गुजरते वक्त फिर न लौटेंगे कभी ये ध्यान रहे
एक-एक पल को जीने की पूरी तैयारी रखो
-श्वेता सिन्हा