ढूंढा बहुत खुद को: सीमा शर्मा ‘तमन्ना’

सीमा शर्मा ‘तमन्ना’
नोएडा, उत्तर प्रदेश

कहने को तो ये चांद भी वही है
और सुबह का ये सूरज भी वही
सफ़र-ए-ज़िन्दगी रहा इस क़दर
कि मुझे ख़ुद की ही खबर नहीं

जाने क्यों थे वो जो अपने कभी
अब अपने नहीं लगते हैरान हूं!
क्योंकि! एक सिवाय उनके कभी
गैरों से मुझे कोई मतलब रहा नहीं

बदल चुका है रंग अपना वो पानी
हवाएं बहती हैं लिए अपनी कहानी
सुकून-ओ-अमन की जिस तलाश में
भागे दिन रात वो कहीं मिला नहीं

है कौन साथ यहां किसके! कौन नहीं
है अब वही धरती और अंबर भी वही
मग़र न मिल सका मुझे बस वो ही नहीं
बहुत ढूंढा मैंने खुद को मैं खोई हूं वहीं