डॉ. निशा अग्रवाल
शिक्षाविद, पाठयपुस्तक लेखिका
जयपुर, राजस्थान
मैं अपना परिचय क्या दूं,
कि मैं क्या हूं, मैं कौन हूं?
मैं एक विचार, एक धारा हूं,
सपनों से जुड़ा, एक धागा हूं।
मेरे मन में सागर की गहराई,
विचारों में अंबर की ऊँचाई।
परिवर्तन की मैं पुकार हूं,
नव-निर्माण की मैं रफ्तार हूं।
मैं स्वप्न हूं उन आँखों की,
जो खोज रहे राह जीवन की।
मैं दीप हूं उस अंधकार में,
जहां हर तरफ है बस निराशा ही निराशा।
मैं समय के संग चलती हूं,
हर दिन कुछ नया रचती हूं।
मैं कर्म का प्रतीक, मैं मात्र एक प्रयास हूं,
जीवन के हर पल का विश्वास हूं।
तो कैसे दूं मैं अपना परिचय,
कि मैं क्या हूं, मैं कौन हूं?
मैं बस वो हूं, जो जी रही हूं,
अपने अस्तित्व की पहचान खोज रही हूं।