Sunday, November 16, 2025
Homeआस्थादेव प्रबोधिनी एकादशी पर मध्य प्रदेश में फिर सजेगा भक्ति और आस्था...

देव प्रबोधिनी एकादशी पर मध्य प्रदेश में फिर सजेगा भक्ति और आस्था का दीपोत्सव

भोपाल,(हि.स.)। भक्ति संगीत में डूबे कलाकारों की मधुर स्वर लहरियाँ और आस्था से ओत-प्रोत जनसमूह के बीच प्रकाशमान दीपक… यह दृश्य मध्य प्रदेश में एक बार फिर लाखों दीपों की उजास के रूप में देखने को मिलने जा रहा है। दरअसल, दीपावली के दिन पूरा देश रोशनी से सराबोर हुआ था, घर घर मां लक्ष्‍मी का वास हुआ था, और अयोध्‍या में भगवान श्रीराम के पहुंचने पर भव्‍य उत्‍सव मनाया गया था, लेकिन मध्‍य प्रदेश में सरकार एक बार फिर देव प्रबोधिनी एकादशी के दिन दिपोत्‍सव मनाने जा रही है प्रदेश के रामपथगमन क्षेत्र में ये दीपोत्सव-2025 का आयोजन श्रद्धा, संस्कृति और लोकपरंपरा का अद्भुत संगम बनेगा।

उल्‍लेखनीय है कि एक तरफ मध्‍य प्रदेश में राज्य के 70वें स्थापना दिवस समारोह को व्यापक रूप से “अभ्युदय मध्य प्रदेश” थीम के तहत मनाया जा रहा है, जो राज्य की समग्र प्रगति और सांस्कृतिक गौरव की यात्रा को दर्शाता है। तो दूसरी ओर 1 नवंबर 2025, विक्रम संवत 2082 की कार्तिक शुक्ल एकादशी को संध्या होते ही प्रदेश के नौ पवित्र स्थलों पर एक साथ 3,51,111 दीपक रोशन हो उठेंगे। ये दीपक श्रद्धा, संस्कार और भक्ति के प्रतीक बनकर भगवान श्रीराम, माता सीता और भाई लक्ष्मण के वनगमन मार्ग को पुनः आलोकित करेंगे।

रामपथगमन न्यास के सीईओ एन.पी. नामदेव बताते हैं कि यह आयोजन धार्मिक अनुष्ठान से अधिक आध्यात्मिक अनुभूति प्रदान करने वाला है, जो प्रभु श्रीराम के आदर्शों को जन-जन तक पहुँचाने का माध्यम बनेगा। जब दीपों की यह रश्मि नर्मदा, मंदाकिनी और अन्य पवित्र जलधाराओं के तटों से उठेगी, तब मानो आस्था का यह प्रकाश सम्पूर्ण प्रदेश को आलोकित कर देगा।

आयोजन की विशेषता यह है कि रामपथगमन क्षेत्र के नौ जिलों में यह दीप आराधना एक साथ होगी और हर स्थल अपनी लोक-संस्कृति, संगीत और भक्ति के रंगों से सजेगा। मध्य प्रदेश का यह दीपोत्सव उसकी लोकसंस्कृति का उत्‍सव है। यहाँ संगीत है, लोकगीत हैं, आरती की ध्वनि है और सामूहिकता का भाव है।

अनूपपुर जिले के अमरकंटक से इसकी शुरुआत होगी। माँ नर्मदा के उद्गम स्थल रामघाट पर 51,000 दीप प्रज्वलित किए जाएंगे। यहाँ माँ नर्मदा की महाआरती सात पुरोहितों के साथ मुख्य पुजारी द्वारा की जाएगी और जबलपुर के प्रसिद्ध गायक मनीष अग्रवाल अपने भक्ति गायन से वातावरण को नर्मदा की निर्मल धारा-सा पवित्र बना देंगे। कहा जा सकता है कि नर्मदा की लहरें भी उस रात दीपों की छवि में झूम उठेंगी।

उधर, सतना जिले के पावन चित्रकूट में राघव प्रयाग घाट पर 1,11,111 दीपों की अलौकिक छटा बिखरेगी। पंद्रह पंडितों द्वारा माँ मंदाकिनी की महाआरती की जाएगी और सागर के “विभोर” इंडियन फ्यूजन बैंड द्वारा श्रीरामकेंद्रित भजनों की ऐसी प्रस्तुति दी जाएगी, जिसमें शास्त्रीयता और लोकधुन दोनों का अद्भुत समन्वय होगा। इसी क्षेत्र के पंचवटी घाट पर 21,000 दीपों से उजास फैलेगी, जहाँ बालाघाट की भजन गायिका मुस्कान चौरसिया अपनी मधुर आवाज़ में श्रीरामचरित की अमृतधारा प्रवाहित करेंगी।

शारदा देवी की नगरी मैहर में आल्हा तलैया के तट पर 51,000 दीपों की रेखाएँ जब जलेंगी तो ऐसा लगेगा मानो स्वयं माँ शारदा के मुकुट से प्रकाश झर रहा हो। सात पंडितों द्वारा की जाने वाली महाआरती के बीच सागर की साक्षी पटेरिया और साथी कलाकारों के भक्ति गीत श्रद्धालुओं के मन में संगीत और साधना दोनों का संगम रच देंगे।

नर्मदापुरम् के सेठानी घाट पर 51,000 दीप आराधना का आयोजन होगा। माँ नर्मदा की महाआरती सात पंडितों द्वारा सम्पन्न की जाएगी और भोपाल का दीप म्यूजिकल ग्रुप अपनी प्रस्तुति में अवधी और मध्यप्रदेश की लोकधुनों का अद्भुत मेल प्रस्तुत करेगा। भक्ति संगीत की स्वर लहरियाँ जब लहरों से टकराएँगी, तो घाट का हर दीप मानो प्रभु नाम में लीन हो जाएगा।

कटनी के कटायेघाट तालाब पर 15,000 दीपों से जलती उजास वहाँ के जल में ऐसी छटा बिखेरेगी, मानो चाँदनी धरती पर उतर आई हो। पाँच पंडितों द्वारा महाआरती की जाएगी और नर्मदापुरम् के नमन तिवारी एवं उनके साथी लोकगीतों और भजनों से वातावरण को भक्तिमय बना देंगे।

पन्ना के धरम सागर तालाब के तट पर 11,000 दीपों की झिलमिलाहट श्रद्धालुओं के हृदय में भक्ति की ज्योति जलाएगी। यहाँ पन्ना की सुश्री वेदिका मिश्रा एवं साथी कलाकार अपने सुरों से प्रभु भक्ति का प्रसाद बाँटेंगे। वहीं उमरिया के प्राचीन सगरा मंदिर प्रांगण में 31,000 दीप प्रज्ज्वलित किए जाएंगे और महाआरती के पश्चात कटनी के सत्यम आरख एवं साथी भक्ति गीतों की प्रस्तुति देंगे।

इस श्रंखला का अंतिम आयोजन शहडोल जिले के सीतामढ़ी (गंधिया) में 5 नवंबर को होगा, जहाँ 11,000 दीपों से राम और सीता की आराधना की जाएगी। उमरिया की बबली यादव एवं उनके साथी कलाकार अपने भक्ति गायन से इस संध्या को स्मरणीय बना देंगे।

इस पूरे आयोजन की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहाँ हर स्थल अपने स्वरूप में अलग है, लेकिन संदेश एक ही प्रभु श्रीराम के आदर्शों की लौ हर हृदय में जलनी चाहिए। ये दीप केवल तेल और बाती से नहीं जलते, बल्कि श्रद्धा और सद्भाव से प्रज्वलित होते हैं। जब गाँव-गाँव से आए लोग अपने हाथों में मिट्टी के दीप लिए घाटों की ओर चलेंगे, तो यह केवल पूजा नहीं, बल्कि संस्कृति का पुनर्जागरण होगा।

कल्पना कीजिए, जब 3,51,111 दीप एक साथ प्रज्वलित होंगे और उनकी रश्मियाँ नर्मदा, मंदाकिनी और अन्य जलधाराओं में प्रतिबिंबित होंगी, तब वह दृश्य कैसा होगा, मानो धरती पर तारों की वर्षा हो रही हो। दीयों की कतारें जब घाटों पर साँझ की हवा में डोलेंगी, तब हर लौ में प्रभु श्रीराम का तेज झलकेगा और हर हृदय में भक्ति का प्रकाश फैलेगा।

उल्‍लेखनीय है कि देव प्रबोधिनी एकादशी का यह पर्व दरअसल एक प्रतीक है, जागृति का, पुनर्जागरण का। यह वह क्षण है जब भगवान विष्णु योगनिद्रा से जागते हैं और सृष्टि में फिर से गति आती है। उसी प्रकार यह दीपोत्सव भी समाज में जागृति लाने का प्रयास है ताकि हर मन में राम के आदर्शों की आभा जगे, हर घर में मर्यादा का दीप जले और हर हृदय में प्रेम, त्याग और सत्य की लौ सदा प्रज्वलित रहे।

Related Articles

Latest News