मुरादाबाद (हि.स.)। वट सावित्री व्रत पूजा गुरुवार छह जून को होगा। वट सावित्री व्रत पर सुहागिनें अपने पति की लम्बी उम्र की कामना करते हुए व्रत रखती हैं। वट सावित्री व्रत के दिन अगर शुभ मुहूर्त पर वट वृक्ष की पूजा की जाए तो वैवाहिक जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है।
श्री हरि ज्योतिष संस्थान के संचालक ज्योतिषाचार्य पंडित सुरेंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि इस बार वट सावित्री व्रत और शनि जयंती चार योग में होने जा रही है। ज्योतिषाचार्य पं. सुरेंद्र कुमार शर्मा ने आगे बताया कि ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या आज बुधवार को शाम आठ बजे से शुरू होकर छह जून को शाम 6 बजकर 9 मिनट तक रहेगी।
सूर्य उदय तिथि के अनुसार को छह जून को वट सावित्री व्रत और शनि जयंती मनाई जाएगी। वट सावित्री व्रत अमृत काल समय 6 जून को सुबह 5 बजकर 35 मिनट से लेकर सुबह 7 बजकर 16 मिनट तक रहेगा। पूजन का शुभ मुहूर्त 6 जून सुबह 8 बजकर 56 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 37 मिनट तक होगा।
पंडित सुरेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि ज्येष्ठ अमावस्या की तिथि को शनि जयंती के दिन शनिदेव का जन्म हुआ था और उनको सूर्यदेव और माता छाया की संतान माना जाता है। उन्होंने बताया कि इस बार वट सावित्री व्रत और शनि जयंती चार योग में होने जा रही हैं।
शनि जयंती के दिन शोभन योग का निर्माण हो रहा है और शनिदेव स्वराशि कुंभ में ही रहेंगे, जिससे शश योग भी बन रहा है। साथ ही चंद्रमा गुरु के साथ मेष राशि में होने से गजकेसरी योग भी बनेगा, शनि के जन्मोत्सव पर वृषभ राशि में बुध, सूर्य, शुक्र, गुरु, चंद्रमा का संयोग पंचग्रही योग बना रहा हैं। ऐसे में शनि देव को उनका प्रिय भोग काले तिल से बनी मिठाई, काली उड़द दाल की खिचड़ी का भोग लगाएं. जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है।
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि शनि जयंती के दिन शनिदेव की पूजा अर्चना करने से शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या और महादशा के अशुभ प्रभाव में कमी आती है और शनिदेव की कृपा से हर कार्य में सफलता मिलती है। शुभ योग में इन उपायों को करने से शनि दोष से मुक्ति मिलती ही हैं। ज्येष्ठ अमावस्या तिथि पर मुख्य रूप से शनि-शांति के कर्म, पूजा-अनुष्ठान, पाठ और दान आदि करने से शनि व पितृ दोषों की शांति होती है। शनि चालीसा और हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का भी इस दिन पाठ करने से जातकों पर शनिदेव की बहुत कृपा रहती हैं।