देवशयनी एकादशी से बंद हो जायेंगे मांगलिक कार्य: वर्ष 2022 के बचे हुए विवाह मुहूर्त

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय
सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता
प्रश्न कुंडली एवं वास्तु शास्त्र विशेषज्ञ

सनातन धर्म में ज्योतिष विद्या का बहुत महत्व है। हम हर शुभ कार्य को एक विशेष समय पर करते हैं। वह विशेष समय हमारे ऋषि मुनियों द्वारा शोधित समय काल होता है, जिसे हम मुहूर्त कहते हैं। विवाह के लिए भी हमारे ऋषियों ने समय की गणना की है। मुहूर्त के बारे में मुहूर्त चिंतामणि, मुहूर्त गणपति, मुहूर्त सागर, मानसागरी आदि ग्रंथों में बताया गया है। जैसे कि विवाह के समय सूर्य देव मेष, वृष, मिथुन, वृश्चिक, मकर एवं कुंभ राशि में होना चाहिए, परंतु इस समय काल में भी शुक्र और गुरु अस्त नहीं होने चाहिए। 

इसके अलावा कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी से शुक्ल पक्ष की परिवा तक इन 5 दिनों में विवाह नहीं किया जाता है। अगर हम नक्षत्र पर ध्यान दें तो रोहिणी, मृगशिरा, मघा, उत्तराफाल्गुनी, स्वाति, अनुराधा, मूल उत्तर भाद्रपद एवं रेवती तथा कात्यायन पद्धति के अनुसार अश्वनी, हस्त, चित्रा, श्रवण एवं धनिष्ठा नक्षत्र में विवाह किया जा सकता है।

इस प्रकार देवशयन की समयावधि में, गुरु या शुक्र के अस्त होने पर, कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी से शुक्ल पक्ष की परिवा तक आदि समय पर विवाह संबंध नहीं किए जाते हैं। देव शयन का अर्थ है भगवान विष्णु के सोने का समय। इस समय को चौमासा भी कहते हैं।

पौराणिक मान्यता है कि भगवान इन 4 महीनों में पाताल लोक में बलि के द्वार पर विश्राम करते हैं। यह समय अषाढ शुक्ल पक्ष की एकादशी से प्रारंभ होकर कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी  तक का है। भगवान विष्णु कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को क्षीरसागर लौटते हैं। आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी और कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को देव उठनी एकादशी भी कहते हैं। इस समय के अंतराल में विवाह आदि शुभ कार्यों के मुहूर्त पूरी तरह से बंद रहते हैं।

वर्ष 2022 में 10 जुलाई को देवशयनी एकादशी पड रही है। 9 जुलाई के उपरांत विवाह नहीं हो पाएंगे। जुलाई के माह में 4 जुलाई 8 जुलाई और 9 जुलाई को विवाह मुहूर्त है। इसके उपरांत 4 नवंबर को देव प्रबोधनी या देवउठनी एकादशी पड़ेगी तब फिर विवाह पुनः प्रारंभ होंगे। 4 नवंबर को तुलसी विवाह भी होगा, अतः उस दिन विवाह के मुहूर्त हैं इसके उपरांत अगला विवाह मुहूर्त 8 दिसंबर 9 दिसंबर एवं 14 दिसंबर को ही है। 

कात्यायन पद्धति से 4 दिसंबर को भी विवाह मुहूर्त है। पुष्पांजलि पंचांग के अनुसार जून के माह में 20, 21 और 22 जून को तथा जुलाई के माह में 3 जुलाई 6 जुलाई और 7 जुलाई को भी विवाह मुहूर्त हैं। पुष्पांजलि पंचांग के अनुसार नवंबर के महीने में 25, 26, 27 और 28 नवंबर को तथा दिसंबर मास में 2, 3, 7, 14 और 16 दिसंबर को भी विवाह मुहूर्त है। इसके उपरांत सूर्य के धनु राशि में जाने के कारण 14 जनवरी तक विवाह मुहूर्त नहीं रहेंगे।

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