विजया एकादशी 2022: सभी पापों से मुक्त कर मोक्ष की ओर ले जाता है एकादशी का व्रत

सनातन संस्कृति में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। हिन्दू पंचांग के अनुसार वर्ष में 24 एकादशियां आती हैं और हर एकादशी का अपना एक विशेष महत्व है। फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को विजया एकादशी कहा जाता है। पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की शुरुआत हो चुकी है। फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी 27 फरवरी के दिन पड़ रही है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है।

विजया एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने से व्यक्ति को हर कार्य में विजय प्राप्त होती है। शत्रुओं में पर जीत हासिल होती है और मृत्यु के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस पावन तिथि पर किया जाने वाला यह व्रत जीवन में सफलता पाने और हर मनोकामना को पूरा करने के लिए विशेष रूप से किया जाता है। विजया एकादशी का व्रत मनुष्य के पापों को दूर करता है और उनके जीवन को मोक्ष की ओर अग्रसर करता है। शास्त्रों के अनुसार विजया एकादशी को व्रत रखने से व्‍यक्ति को पूर्वजन्म और इस जन्‍म के सभी पापों से मुक्ति मिलती है और हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।

शुभ मुहूर्त

इस बार विजया एकादशी 26 और 27 फरवरी दो दिन रहेगी। एकादशी तिथि शनिवार 26 फरवरी सुबह 10:39 बजे से आरंभ होकर रविवार 27 फरवरी प्रात: 8:12 बजे तक है। पूजन का शुभ मुहूर्त 26 फरवरी को दोपहर 12:11 मिनट से दोपहर 12:57 बजे तक रहेगा। वहीं उदयातिथि के आधार पर 27 फरवरी के दिन भी विजया एकादशी का व्रत रखा जाएगा। ऐसी स्थिति में बेहतर होगा कि किसी परिचित पंडित से सलाह लेकर ही व्रत किया जाए।

पारण

26 फरवरी को व्रत रखने वाले लोग एकादशी व्रत का पारण 27 फरवरी को दोपहर 1:43 बजे से शाम 4:01 बजे तक पारण कर सकेंगे। वहीं 27 फरवरी को व्रत रखने वाले लोग 28 फरवरी को सुबह 6:48 बजे से 9:06 बजे तक पारण कर सकेंगे।

व्रत कथा

द्वापर युग में धर्मराज युद्धिष्ठिर को फाल्गुन एकादशी के महत्व के बारे में जानने की जिज्ञासा हुई। उन्होंने अपनी इस जिज्ञासा को भगवान श्रीकृष्ण के सामने प्रकट किया। तब भगवान श्रीकृष्ण ने फाल्गुन एकादशी के महत्व व कथा के बारे में बताते हुए कहा कि ये बात त्रेतायुग की है। जब भगवान श्रीराम ने माता सीता के हरण के पश्चात रावण से युद्ध करने के लिए सुग्रीव की सेना को साथ लेकर लंका की ओर प्रस्थान किया तो लंका से पहले विशाल समुद्र ने रास्ता रोक लिया। समुद्र में बहुत ही खतरनाक समुद्री जीव थे, जो वानर सेना को हानि पहुंचा सकते थे. चूंकि श्रीराम मानव रूप में थे, इसलिये वे इस गुत्थी को उसी रूप में सुलझाना चाहते थे। उन्होंने लक्ष्मण से समुद्र पार करने का उपाय जानना चाहा तो लक्ष्मण ने कहा कि हे प्रभु वैसे तो आप सर्वज्ञ हैं, फिर भी यदि आप जानना ही चाहते हैं तो मुझे लगता है कि यहां से आधा योजन की दूरी पर वकदालभ्य मुनिवर निवास करते हैं, उनके पास इसका कुछ न कुछ उपाय हमें मिल सकता है।

फिर क्या था, भगवान श्रीराम उनके पास पंहुच गए। उन्हें प्रणाम किया और अपनी समस्या उनके सामने रखी। तब मुनि ने उन्हें बताया कि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को यदि आप समस्त सेना सहित उपवास रखें तो आप समुद्र पार करने में तो कामयाब हो जाएंगे। साथ ही इस उपवास के प्रताप से आप लंका पर भी विजय प्राप्त करेंगे। समय आने पर मुनि वकदालभ्य द्वारा बताई गई विधिनुसार भगवान श्रीराम सहित पूरी सेना ने एकादशी का उपवास रखा और रामसेतु बनाकर समुद्र को पार कर रावण को परास्त किया।