दिल की आवाज को कुछ यूं
अनसुना किया हमने,
कब प्यार ने हौले से दस्तक दी
ये पता ही ना चला
हम तो बैठे थे उस दरिया के
मुहाने पर,
जहां से दूर तलक कोई कश्ती
नज़र ना आती थी
दिल के मरुस्थल की
मृगमरीचिकाओ से,
हर पल हमें वो
और भी भरमाती थी
आया हवा का झोंका एक
सुमधुर संगीत बनकर,
जिसकी मीठी धुन पर
मन नाच उठा
पता ही ना चला
दिल की आवाज़ को कुछ यूं
अनसुना किया हमने
-मीनाक्षी शर्मा