जिस पल याद गुहार करेगी
पागल मन बहला लेंगे
बादल बूँद फुहार बनेगी
आकुल तन नहला लेंगे
साथ तुम्हारा हम माँगे थे
लेकिन वो भी मिला नहीं
कह देंगे हम अपने दिल से
हाथ तुम्हारा मिला नहीं
बिखरे कुंतल देख हवा में
पीड़ा को सहला लेंगे
जिस पल याद गुहार करेगी
पागल मन बहला लेंगे
कुछ तोड़ नहीं कुछ जोड़ नहीं
पगडंडी में मोड़ नहीं
चलते हैं सीधी रेखा पर
दुनिया से कुछ होड़ नहीं
जब भी कोई मोड़ मिलेगा
नेक कदम पहला लेंगे
जिस पल याद गुहार करेगी
पागल मन बहला लेंगे
दूर रहो या पास रहो तुम
रिश्ता तो है प्रीत भरा
चाल चलन सारे जीवन का
मीत रहा है रीत भरा
लाल सुमन छूकर पलाश के
हम दामन दहला लेंगे
जिस पल याद गुहार करेगी
पागल मन बहला लेंगे
-डॉ उमेश कुमार राठी