ढूंढते रह जाओगे- संजय अश्क़

जिसका कोई बोलने वाला नहीं
उसकी कोई सुनने वाला नहीं

झूठ फरेब के इस दौर मे यारों
ये सच ज्यादा चलने वाला नहीं

हर जगह है पैसों में बिकने वाले
इंसाफ कहीं मिलने वाला नहीं

सबको मतलब है अपने मतलब से
बेबसी को कोई गिनने वाला नहीं

सरकार में चाहे जो भी आ जाये
हाल देश का सुधरने वाला नहीं

कुछ बेईमानी के भी धंधे कर लो
घर ईमानदारी से चलने वाला नहीं

ढूंढते रह जाओगे तुम शहर में
पर प्यार कहीं मिलने वाला नहीं

तुझसे बढ़कर है कई बाजार में
ये सुन तेरा ग़म खलने वाला नहीं

खामोशी में पाले हूँ मैं तूफान को
उठ गया तो सम्भलने वाला नहीं

-संजय अश्क़
पुलपुट्टा बालाघाट
9753633830