Friday, December 27, 2024
Homeसाहित्यतुम मेरी पहली और मैं तुम्हारी आखिरी मुहब्बत- पायल विशाल

तुम मेरी पहली और मैं तुम्हारी आखिरी मुहब्बत- पायल विशाल

तुम मेरी पहली
और
मैं तुम्हारी, आखिरी मुहब्बत
इन लिखे हुए अल्फ़ाजों में,
अब सिमट चुकी मुहब्बत
ना हमने बयां की, खुलकर दिल की बात
कैसे करती?
डर लगता था
क्या करूंगी?
ग़र हो गये नाराज़
पर अब लगता है
काश
काश साफ-साफ कह दिया होता
हाँ
मुझे प्यार है, मुहब्बत है तुमसे
जो ना व़क्त के साथ बदलेगा,
कुदरत के शाश्वत सत्य की तरह
मेरे प्रीत का सूरज
हर रोज़ चमकेगा
बिलकुल वैसे ही,
जैसे माँ अपने बच्चे को चाहती है
एक पिता अपने बच्चों को ख़ुश देखना’ चाहता है
एक बड़ा भाई अपने छोटे भाई को साथ हूँ तेरे
इन बातों को महसूस कराता है
जब एक बहन शरारतों को भूलाकर
बस प्यार करती है,
जब एक दोस्त तुम्हारे लिए कुछ भी कर जाता है
ऐसा ही मेरा, तुम्हारे लिए प्यार है
जिसे अब
कोई कोई नाम की ज़रूरत नहीं,
क्योंकि
सभी रिश्तों की तरह प्यारे हैं
मेरे दिल के जज़्बात
कैसे कहूं?
कैसे बताऊं?
जब ख़ुद नहीं मुझे
अंदाज़
कितनी मुहब्बत है
बस
सभी रिश्तों के एहसासों का निचोड़ है,
कोई
परिस्थितियों का गुलाम नहीं,
हमेशा
चलते रहने वाले
प्यारे से रिश्तों के बादशाह सा है
ये एहसास
ना बदला है, ना बदलेगा
मन्नत के धागों में बंधा
पायल के घुंघरूओं सा
पर ख़ामोश रहेगा
अब हर एहसास
क्योंकि
तुम मेरी पहली और मैं हूँ तुम्हारी
आख़िरी मुहब्बत
ऐ मेरे यार
तुम मेरी पहली और मैं हूँ तुम्हारी
आख़िरी मुहब्बत

-पायल विशाल

संबंधित समाचार

ताजा खबर