जान गवाँये पूत हमारे खूनी बारिश में
मौन हुये कुछ वीर दुलारे खूनी बारिश में
सचमुच थे सारे बलिदानी
खून बहाये जैसे पानी
याद रहेगी देश धरा को
इन वीरों की ये कुर्बानी
शोक जताते दुख के धारे खूनी बारिश में
मौन हुये कुछ वीर दुलारे खूनी बारिश में
आँखों से झरता प्रपात अब
मुग्ध नहीं करता प्रभात अब
कैसे शब्द लिखूँ स्याही से
सूख गयी पूरी दवात अब
देख रहे चुपचाप सितारे खूनी बारिश में
मौन हुये कुछ वीर दुलारे खूनी बारिश में
टूट गयी पल में वैसाखी
छूट गयी बहिना की राखी
बच्चों ने रखवाला खोया
दूर गया मतवाला पाखी
रोती नदिया देख किनारे खूनी बारिश में
मौन हुये कुछ वीर दुलारे खूनी बारिश में
-डॉ उमेश कुमार राठी