रखना है विश्वास सँजोकर सबको एक खिवैया में
वो ही पंख लगा देता है हर मानव की नैया में
रक्त शिराओं में भर देती दूध पिलाती जब जननी
रूह बसी है इसी वजह से सबकी निश्छल मैया में
स्वेद सदा अकुलाता मन को धूप सताती जब तन को
मिलती है अनुभूति अनौखी केवल पीपल छैंया में
राह सुगम हो जायेगी यदि हाथ रहे सिर पर प्रभु का
चिन्ह बता देते हैं रस्ता सबको भूल भुलैया में
कितना भी सूखा पड़ जाये फिक्र नहीं हमको बिल्कुल
पानी मिल जाता पीने को निर्मल कूप तलैया में
मोल बहुत अनमोल जगत में तोल नहीं इसकी कोई
ममता मिलती है माता से प्रतिदिन नेह बलैया में
हूक जगा देती है दिल में मधु आवाज सुरैया की
वैसी कूक नहीं मिलती है अब तक अन्य गवैया में
बेटी हरपल प्यार जताती और मनाती बाबुल को
मीत सदा वो ही छवि दिखती निशदिन गेह चिरैया में
-डॉ उमेश कुमार राठी