(1)
हो
घर,
संसार,
स्वयं में भी,
अनुशासन
तब ही बनेगा
सफल ये जीवन।।
(2)
ना
सीख
सकते
कभी हम
अनुशासन
किसी के कहने
या दाब के कारण।।
(3)
स्व
ही हो
सकते
हम लोग
अनुशासित
करेंगे नहीं तो
दूसरे यह काम।।
(4)
मैं
मेरी
कलम
और मन
अनुशासित
रहें सदा, बढ़े
प्रगति पथ पर।।
(5)
है
होता
उत्पन्न
अभ्यास व
अनुशासन
और कर्मठता
से ही आत्मविश्वास।।
सोनल ओमर
कानपुर, उत्तर प्रदेश