क्या हुआ जो आज मुश्किलों की घड़ी है।
विपत्ति के समंदर में नौका फंसी पड़ी है।।
भूल न कि तू एक शूरवीर है।
लहरों के शोर में भी तू धीर है।।
तुझसे ही तो पिछड़ों का बल है।
तू ही तो दबे कुचलो का संबल है।।
तू है तो लौं मशालों की कायम है।
तू है तो आस उजालों की कायम है।।
तुझ से ही पंख और परवाज़ है।
तू है तो मजलूमों की आवाज़ है।।
चल तू बस अकेला ही चला चल।
बर्बाद न कर अब तू एक भी पल।।
तुझमें हुनर की है कोई कमी नहीं।
लाना अपनी आँखो में कभी नमी नहीं।।
भगवान पर बस तुम रखो आस्था।
कदम बढ़ाओ मिलता जाएगा रास्ता।।
लहरों से टकराकर नौका पार पाएगी।
एक दिन तुझे मंजिल मिल ही जाएगी।।
कर्म करते रहो मेहनत तेरी रंग लाएगी।
एक दिन तुझे मंजिल मिल ही जाएगी।।
सोनल ओमर
कानपुर, उत्तर प्रदेश