पुराना सब कुछ भुलाकर,
नए साल मे कुछ ऐसा कर जाएंगे।
सपनो के पंख लगाकर,
आशाओं के फूल खिलाएंगे।।
हिम्मत की मशाल लेकर,
नदियों सा अविरल बहते जाएंगे।
हिमालय सा सीधा तनकर,
स्वाभिमान का अलख जगाएंगे।।
लक्ष्यभेदना ही लक्ष्य हमारा,
मंजिल को कदमो में झुकाएंगे।
कारवां चले संग हमारे,
नया साल हम ऐसा बनाएंगे।।
सही पथ पर चलकर,
भविष्य को उज्जवल बनाएंगे।
अनुशासन मे रहकर,
जीवन को सफल बनाएंगे।।
लेकर मन मे उमंग तरंग,
खुशियों की रश्मियां बिखेर जाएंगे।
मां बाप के सपने पूरे कर,
उनका ध्रुवतारा बन जाएंगे।।
प्रियंका पांडेय त्रिपाठी
प्रयागराज, उत्तर प्रदेश