उड़त ग़ुलाल, बजत खड़ताल
प्रगट भये मेरो नन्दलालम
सुन्दर मुखड़ा, चंचल अँखियां
नन्ही उंगली नोचत गाल।
नन्हे पैरन पैजनियाँ साजत
नाचे ज़ब-ज़ब छम-छम बाजत।।
मधुर बजावे बंसी की धुन
मुग्ध भये सब ग्वालिन-ग्वाल।
सुनत ध्वनि भई हर्षित मैं सखी
धन्य हुए सब बाल ग्वाल।।
कोई लावे माखन मिश्री
कोई हलवा मेवे डाल।
मैं अज्ञानी कुछ ना ले गई
पूजन अपने प्यारे नन्दलाल।।
क्षमा करो मेरे मधुसूदन
मैं अज्ञानी भूली-भटकन।।
हे! कृष्णा मोहे अपना लीजो
सखी बना मोहे करो निहाल
करो कृपा मेरे नन्दलाल
सखी बना मोहे करो निहाल।।
पूजा
पीजीजीसीजी-42,
चंडीगढ़