आंसुओं की दास्तान: डॉ निशा अग्रवाल

डॉ निशा अग्रवाल
जयपुर, राजस्थान

आंखियो से बहते करुण नीर
आंसू कहलाते हैं।
सुख दुख का हाल बयां करते
उर भाव भी यही बताते हैं।।

अंतर्मन की अभिव्यक्ति भी
आंसू ही तो जताते है।
मन की आहत का राज तो बस
ये आंसू ही बताते हैं।।

व्यथित वेदना प्रतिबिंबित भी
आंसू से ही होती है।
टूटे दिल तो छन की भी
आवाज तलक ना होती है।।

शबनम से गिरते आंसू जब
मधुर मिलन क्षण आते हैं।
विरह प्रिये से होता है जब
ये नैना नीर बहाते हैं।।

दिल के भेद खोलें आंसू
बिन बोले सब कुछ कह जाते हैं।
खामोश लबों पे मुस्कान लिए
फिर बार बार ये आते हैं।।

मत नीर बहा तू बंदे कहते
जग की घनघोर ये माया है।
चार दिनों का जीवन जग में
सब कुछ छोड़ के जाना हैं।।