पिता: सीमा शर्मा ‘तमन्ना’

मुश्किल राहों का यह सफर तय कर पाना यूं तो
हर किसी के लिए इतना आसान भी नहीं होता है
इस बात का दर्द उनसे एक बार पूछकर देखें जरा!
जिनके सिरों पर पिता सा आसमान नहीं होता है

हार कर अपनी बाजी वह जो हर वक्त मुस्कुराता है
शतरंज की यह जीत शायद ही कोई समझ पाता है
उसआसमां सी छाया में खुद को महफूज नजर आता है
वो नन्हा कलेजे का टुकड़ा हाथ पकड़े दूर तक जाता है

अगर न हो ये तो कहां फिर कोई जिद या जुनून होता है
करेंगे भी तो कौन पूरी करेगा उन्हें बस यही डर होता है
यह तो दोस्तों! शायद अपनी किस्मत का ही फेर होता है
पर सच है कि, हर पिता अपने बच्चों लिए शेर होता है

सारी कायनात की खुशियां एक ही जगह मिल जाती है
रोते खेलते जब हमें उसकी गोद में ही नींद आ जाती है
इस सफलता की कीमत शायद ही कोई समझ पाता है
एक पिता ही है जो‌ उस मेहनत का अंदाजा लगा पाता है

उसका होना ही सूरज की रौशनी सा उजाला दे जाता है
लेकिन चला जाए दूर यदि वहीं अंधेरा सा कर जाता है
मेरी ये लेखनी नमन करें आज उन्हें जो सभी जन्म दाता है
लिख रही जो आज मैं,ये सौभाग्य हर कोई कहां पाता है

सीमा शर्मा ‘तमन्ना’
नोएडा, उत्तर प्रदेश