एहसास की महक: अतुल पाठक

एहसासों की महक बड़ी अनूठी है,
जज़्बातों की माला तुम संग गूँथी है

हवा का झोंका मानो गुनगुना रहा है,
चाँद तारों के झुरमुट को प्यार के नग़में सुना रहा है

हुस्न-ओ-जमाल लगे महताब है,
रुख़ पर उसके हया का हिजाब है

दिल-ए-नादान उड़ने लगा है,
मकतब-ए-इश्क़ में अतुल पढ़ने लगा है

दिल है तो धड़कनों का संगीत होना चाहिए,
प्यार और मोहब्बत में मनप्रीत होना चहिए

एहसास को दिल से एहसास करा कीजिए,
रूह में उतर के प्यार जिया कीजिए

मुझको मालूम नहीं निगाहों को किसकी तलाश है,
सिर्फ तुझे देखा है तू ही दिल-ए-ख़ास है

दिल का मैं सच्चा लिख रहा एहसास हूँ,
दूर होकर भी मैं तेरे दिल के बेहद पास हूँ

अतुल पाठक
हाथरस, उत्तर प्रदेश