निजी क्षेत्र को सौंप दी गई MPPTCL की 1400 करोड़ लागत की 35 विद्युत पारेषण परियोजनाएं

मध्य प्रदेश यूनाइटेड फोरम फॉर पावर एम्प्लाइज एवं इंजीनियर के प्रांतीय संयोजक व्हीकेएस परिहार ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा है कि अभियंता संघ द्वारा मध्य प्रदेश में विद्युत पारेषण के क्षेत्र में लगभग 1400 करोड़ रुपए लागत की विद्युत पारेषण परियोजनाओं, जिनमें 35 उच्चदाब विद्युत उपकेन्द्रों एवं उच्चदाब लाईनों का निर्माण शामिल हैं, को निजी क्षेत्र को सौंपने से प्रदेश के विद्युत क्षेत्र एवं उपभोक्ताओं पर होने वाले प्रतिकूल प्रभावों एवं दुष्परिणामों का उल्लेख करते हुये इस कार्यवाही का विरोध किया गया था। लेकिन शासन प्रशासन द्वारा अभियंता संघ के सुझाव को दरकिनार करते हुये उक्त विद्युत पारेषण परियोजनाओं को निजी क्षेत्र को सौंप दिया गया है, जो कि अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है।

उन्होंने कहा कि यह निर्णय न तो विद्युत उपभोक्ताओं के लिये लाभदायक है एव न ही समग्र विद्युत क्षेत्र एवं इसमें कार्यरत् कार्मिकों के लिये हितकर है, इस योजना के क्रियान्वयन से सभी वर्गों एवं क्षेत्रों पर विपरीत प्रभाव परिलक्षित होंगे। व्हीकेएस परिहार ने कहा कि TBCB के माध्यम से इतनी बडी संख्या में पारेषण परियोजनाओं को निजी क्षेत्र में सीपे जाने से देश की अग्रणी पारेषण कंपनी MPPTCL, जिसके द्वारा अत्यल्प समय में परियोजनाओं का निर्माण पूरा कर अन्तराष्ट्रीय स्तर पर अनेकों बार ख्याति प्राप्त की गई है, का CORE BUSINESS छिन जाने से इसकी GROWTH, अवरुद्ध हो गयी है, जिसके फलस्वरूप देश की एक शीर्ष शासकीय कंपनी के स्तर में गिरावट की आशंका है।

विदित है कि मप्र विद्युत मण्डल के निगमीकरण के फलस्वरूप निर्मित की गई समस्त विद्युत कंपनियों में अंतरित किये गये कार्मिकों की पेंशन का दायित्व, राज्य शासन द्वारा MPPTCL को सौंपा गया था, किन्तु TBCB की उक्त कार्यवाही से MPPTCL के वित्तीय हितों के प्रभावित होने से कार्मिकों को पेंशन भुगतान के दायित्व निर्वाहन में DEFAULT होने की आशंका थी जो माह सितम्बर-2022 में पेंशन के भुगतान में देरी से परिलक्षित होने लगी है एवं जिससे शासन की वैधानिक बाध्यता की पूर्ति भी प्रभावित हुई है।

विगत कई वर्षों से मप्र ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड का लंबित संगठनात्मक संरचना का पुर्नरीक्षण नहीं किया जाना एवं वर्तमान में कार्यरत अभियंताओं पर कार्य का बोझ बढ़ रहा है, जिससे कि उनके स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है एवं कार्यरत युवा अभियंताओं का भविष्य अन्धकारमय है। उपरोक्त विवरण में स्पष्ट है कि TBCB की उक्त कार्यवाही न तो प्रदेश के उपभोक्ताओं के लिये लाभदायक है एवं न ही प्रदेश की विद्युत पारेषण कंपनी, राज्य शासन अथवा विद्युत कार्मिकों के लिये हितकारी है, इसीलिये उक्त प्रस्ताव के इन विपरीत प्रभावों को ध्यान में रखते हुए अभियंता संघ द्वारा विगत समय में पत्राचार के माध्यम से एवं व्यक्तिगत चर्चा के माध्यम से इसे लागू नहीं किये जाने का सतत् अनुरोध किया गया था, किन्तु शासन वित्तीय संकट का हवाला देते हुये उक्त कार्यों को TBCB में देने की मजबूरी दर्शाई गयी थी, जबकि इसके विपरीत औद्योगिक घरानों को लाभ देने हेतु पिछले दरवाजे से निजीकरण को बढ़ावा दिया गया है। 

इस संबंध में उल्लेखनीय है कि मप्र पॉवर ट्रांमिशन कंपनी लिमिटेड वर्तमान में देश की ऊर्जा क्षेत्र में स्थापित महारत्न कंपनी एवं करोड़ो के लाभ में चल रही है इसलिये कंपनी द्वारा उक्त कार्यों को किसी भी वित्तीय संस्थान से ऋण लेने में कोई भी परेशानी नहीं होनी चाहिये। लेकिन फोरम के संज्ञान में आया है कि निजी घरानों को लाभ देने हेतु शासन द्वारा मप्र पॉवर ट्रांमिशन कंपनी लिमिटेड को ऋण लेने हेतु गारंटी नहीं दी गई है एवं न ही कंपनी को TBCB में भाग लेने हेतु अनुमति नहीं दी गई जो कि एक सोची समझी रणनीति के तहत किया गया कार्य है। इस संबंध में एकतरफा कार्यवाही किये जाने से प्रदेश के समस्त विद्युत कार्मिकों में गहन असंतोष निर्मित हो गया है। व्हीकेएस परिहार ने कहा कि प्रदेश में विद्युत पारेषण के क्षेत्र में लागू की जाने वाली TBCB योजना को तत्काल निरस्त करें, अन्यथा विद्युत कर्मी आंदोलन हेतु बाध्य होंगे।