माननीयों को नगद और लोक सेवकों को उधार, दोहरा मापदण्ड बंद करे सरकार

मध्य प्रदेश के आयुक्त लोक शिक्षण मप्र भोपाल द्वारा कक्षा 9 से 12 हाईस्कूल एवं हायर सेकेण्डरी स्कूल तक पढ़ाने वाले शिक्षकों को स्वयं के पैसे से टैबलेट खरीदने के आदेश जारी किए गये हैं। शिक्षकों को पहले बाजार से शिक्षा विभाग के मानक अनुसार स्वयं नगद राशि से टैबलेट क्रय करना है, उसके बाद विभाग द्वारा शिक्षकों को टैबलेट के लिए अधिकतम राशि दस हजार रुपए का भुगतान हो सकेगा।

मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने जारी विज्ञप्ति में बताया कि शासन के मानकों अनुसार बाजार में कोई भी कम्पनी का टैबलेट 15 हजार से रुपये से कम का नहीं है। वहीं आगामी चार वर्षो तक टैबलेट का रखरखाब शिक्षकों को ही करना है जो की तुगलकी फरमान है। वहीं दूसरी ओर प्रदेश के माननीय विधायकों को एक दिन का बजट पढ़ने हेतु लगभग 60 लाख रुपये के टेबलेट निःशुल्क बांटे गये थे। शासन द्वारा शिक्षकों के साथ दोहरा मापदण्ड अपनाया जा रहा।

संघ के योगेन्द्र दुबे, अर्वेन्द्र राजपूत, अवधेश तिवारी, अटल उपाध्याय, आलोक अग्निहोत्री, दुर्गेश पाण्डे, बृजेश मिश्रा, मनोज सिंह, वीरेन्द्र चन्देल, एसपी बाथरे, आरके गुलाटी, चूरामन गुर्जर, वीरेन्द्र तिवारी, धनश्याम पटैल, विवेक तिवारी, साहिल सिद्दीकी, आदि ने प्रदेश के मुख्यमंत्री को ई-मेल भेजकर मांग की गई है कि माननीय विधायकों की तर्ज पर शिक्षकों को भी टेबलेट क्रय करने हेतु टैबलेट के बाजार मूल्य का भुगतान कराया जावे।